शोले के 10 अनसुने किस्से, जो आपको चौंकाएंगे, आखिरी वाला है बेहद दिलचस्प
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शुरू में धर्मेंद्र वीरू और अमिताभ बच्चन जय के किरदार के लिए चुने गए थे, लेकिन धर्मेंद्र को जय का रोल ज्यादा पसंद था. बाद में दोनों किरदारों को स्वैप कर दिया गया.
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गब्बर सिंह का रोल पहले डैनी डेन्जोंगपा को ऑफर हुआ था, लेकिन उनकी डेट्स उपलब्ध न होने के कारण अमजद खान को यह रोल मिला.
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अमजद ने इस किरदार को इतना जीवंत किया कि गब्बर भारतीय सिनेमा का सबसे यादगार विलेन बन गया.
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'कितने आदमी थे?' मशहूर डायलॉग का जन्म सलीम-जावेद की लेखनी का कमाल था. अमजद खान ने इसे इतनी सहजता से बोला कि यह आज भी लोगों की जुबान पर है.
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हेमा मालिनी को बसंती का किरदार निभाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी. खासकर टांगा चलाने के सीन के लिए उन्होंने असल में टांगा चलाना सीखा.
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फिल्म की शूटिंग रामनगर (कर्नाटक) में हुई, जिसे रामगढ़ के रूप में दिखाया गया. सेट बनाने में महीनों लगे और यह उस समय के सबसे महंगे सेट्स में से एक था.
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सांभा (मैक मोहन) का किरदार छोटा था, लेकिन उनका डायलॉग "पूरे पचास हजार" इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग आज भी उन्हें इस नाम से याद करते हैं.
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फिल्म का संगीत आर.डी. बर्मन ने दिया, जो उस समय का मास्टरपीस था. "ये दोस्ती" और "होली के दिन" जैसे गाने आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं.
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गब्बर के बैकग्राउंड स्कोर को बनाने में बर्मन ने कई अनोखे इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल किया.