मनोज कुमार के 7 डायलॉग, अच्छाई का पाठ भी पढ़ाती हैं ये फिल्मी लाइनें

Created By: Urvashi Nautiyal

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इंसान इस दुनिया में चार दिन की जिंदगी गुजारने आता है लेकिन चालीस दिन का गम उसे घेरे रखता है.
(मेरा नाम जोकर)

अपने यहां की मिट्टी की खुशबू है ना वो तो अजनबी लोगों की सांसों में भी संस्कार भर देती है.
(पूरब और पश्चिम)

जिंदगी एक पहेली है, कभी दुश्मन कभी सहेली है. (मैदान-ए-जंग)

जुल्म और झूठ की डाली पर एक बार फल लगता है...दोबारा नहीं.
(क्रांति)

जमीन तो मां होती है और मां के टुकड़े नहीं किए जाते. (उपकार)

विश्वास एक ऐसा बंधन है जो एक इंसान को दूसरे इंसान के करीब लाता है.
 (उपकार)

दुनिया में अभी तक वो बंदूक नहीं बना सकी जो सच्चाई का खून कर सके, नेकी को खत्म कर सके. (हिमालय की गोद में)

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'तू झूठी मैं मक्कार' के प्रमोशन के दौरान.....

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