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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : मुक़दमों गिरफ़्तारियों से जूझता किसान आंदोलन

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किसान आंदोलन के भीतर कई तरह के आंदोलन हो रहे हैं. एक आंदोलन गिरफ्तार लोगों की रिहाई को लेकर भी है. किसी आंदोलनजीवी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस के पास सौ दलीलें होती हैं. सभी की रिहाई की बात प्रमुखता से जगह हासिल नहीं कर पाती है और जगह मिलने के बाद भी रिहाई पर फर्क नहीं पड़ता है. ज़ाहिर है किसी आंदोलन में जाकर लोकतांत्रिकता का अभ्यास करते रहना जोखिम भरा काम है. जो कभी किसी आंदोलन में नहीं गए हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि मतदान करना एकमात्र काम नहीं है. वो एक दिन का और कुछ घंटों का काम है. उससे कहीं ज़्यादा बड़ा काम है पांच साल तक सरकारों के फैसलों और कार्यों पर नज़र रखना और सवाल करना. अपने अधिकार के लिए भी और दूसरों के अधिकार के लिए.



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