आग की भीख - रामधारी सिंह 'दिनकर'| Aag Ki Bheek | Ek Minute Kavita : रामधारी सिंह दिनकर वो कवि हैं जिनकी कविताएं किसी सोए हुए व्यक्ति को भी सुना दी जाए तो वो तत्क्षण उठ बैठेगा और हुंकार कर उठेगा. लेकिन इस कविता (Hindi Kavita) में दिनकर (Dinkar) इस बात से चिंतित लग रहे हैं कि जवानों में जोश नहीं बचा है. हर ओर एक निराशा सी छाई हुई है, इसीलिए वे अपनी पंक्तियों के माध्यम से ‘आग की भीख’ (Aag ki bheekh) मांग रहे हैं.