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रवीश कुमार का प्राइम टाइम : आरोपी कई साल पैरोल पर रहे, तब भी हुई शिकायत और एफ़आईआर

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ख़बरों की दुनिया में सूचनाएं इतनी तेज़ी से बदल जाती हैं कि पता ही नहीं चलता कि किस ख़बर का क्या हुआ. कुछ ख़बरों को देखकर लगता है कि देश बदला है न दिन. सब कुछ जहां था, वहीं रुका हुआ है. क्या हम एक ऐसे समय और समाज में रहने लगे हैं, जहां गृह मंत्री के लिए बोलना इतना भारी पड़ जाएगा, कि उनके मंत्रालय ने 2002 के दंगों से जुड़े बलात्कार और हत्या के 11 सज़ायाफ़्ता क़ैदियों की रिहाई की मंज़ूरी क्यों दी?



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