यूपी की पिछली एंटी रोमियो ड्राइव की फाइल फोटो.
लखनऊ:
यूपी में एंटी रोमियो ड्राइव फेल हो जाने के बाद अब पुलिस को रोमियो पहचानने की ट्रेनिंग दी जा रही है. इस ट्रेनिंग में उन्हें बताया जा रहा है कि वे मोरल पुलिसिंग न करें और मोहब्बत करने वालों को तंग न करें. उन्हें पिछली एंटी रोमियो ड्राइव के वीडियो दिखाकर उनकी गल्तियां बताई जा रही हैं. कुछ वक्त पहले पुलिस भाई-बहन को भी रोमियो बताकर पकड़ ले गई थी, जिसकी बहुत आलोचना हुई थी.
पिछले दिनों झांसी की एक महिला पुलिस अफसर एंटी रोमियो ड्राइव के दौरान रानी लक्ष्मीबाई के किले में पहुंचीं और वहां बैठी लड़कियों को बेइज्जत कर घर भगा दिया. उन्होंने अपनी दोस्त से बात कर रहे एक लड़के को कान पकड़कर उट्ठक-बैठक कराई. चूंकि महिला अधिकारी अपने साथ न्यूज़ चैनलों के स्थानीय संवाददाताओं को साथ लेकर चल रही थीं लिहाजा उस बेकसूर लड़के की देश भर में बेइज्जती भी हुई. पुलिस की ट्रेनिंग में अब ऐसे वीडियो दिखाकर उन्हें उनकी गलती बताई जा रही है.
ट्रेनिंग करने वालीं वूमेन पावरलाइन की डिप्टी एसपी बबिता सिंह कहती हैं कि ”पिछली ड्राइव में पुलिस की बड़े पैमाने पर आलोचना हुई क्योंकि उसने वह काम किए जो उसे नहीं करने चाहिए थे. इस ट्रेनिंग के जरिए उन्हें सेन्सिटाइज़ किया जा रहा है कि जब कोई लड़का, लड़की को छेड़ रहा हो तभी उसे पकड़ा जाए. दोस्तों, मोहब्बत करने वालों को परेशान न करें.”
लखनऊ में वूमेन पावरलाइन के दफ्तर में यह ट्रेनिंग हो रही है, जिसके इंचार्ज आईजी नवनीत सिकेरा हैं. ट्रेनिंग में उन्हें बताया जा रहा है कि देश के कानून में न तो लड़के-लड़की का साथ बैठना जुर्म है और न मोहब्बत करना. इसलिए पुलिस मोहब्बत की दुश्मन न बने. सिकेरा बातचीत करने वाले अंदाज़ में मुहावरों और किस्से कहानियों की शक्ल में उन्हें जेंडर ट्रेनिंग देते हैं.
सिकेरा अपने लेक्चर में कहते हैं कि ”इसे आप अपने ऊपर रखकर सोचिए कि आपकी बेटी बाहर सर्विस करती है. साथ काम करने वाले लड़के को वह पसंद करती है. लड़का भी उसे पसंद करता है. दोनों एक-दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि वे शादी भी कर सकते हैं. वे किसी पार्क में बैठे आपस में बात कर रहे हैं. अब अगर एंटी रोमियो स्क्वाड वहां छापा मारकर उनकी फोटो खींचने लगे, उन्हें कान पकड़कर उट्ठक-बैठक कराने लगे तो आपके दिल पर क्या गुजरेगी. देश के कानून में दोस्ती या मोहब्बत करना अपराध नहीं है. इसलिए ऐसे लोगों को परेशान कर कानून न तोड़ें.”
ट्रेनिंग के लिए पांच-पांच जिलों के पुलिस के लोग बुलाए जा रहे हैं. पूरे यूपी के लोगों की ट्रेनिंग कराई जानी है, क्योंकि पुलिस में मॉर्डनाइज़ेशन और लेटेस्ट टेक्नालॉजी के इस्तेमाल से ज़्यादा ज़रूरत उनके माइंडसेट को बदलने की है.
पिछले दिनों झांसी की एक महिला पुलिस अफसर एंटी रोमियो ड्राइव के दौरान रानी लक्ष्मीबाई के किले में पहुंचीं और वहां बैठी लड़कियों को बेइज्जत कर घर भगा दिया. उन्होंने अपनी दोस्त से बात कर रहे एक लड़के को कान पकड़कर उट्ठक-बैठक कराई. चूंकि महिला अधिकारी अपने साथ न्यूज़ चैनलों के स्थानीय संवाददाताओं को साथ लेकर चल रही थीं लिहाजा उस बेकसूर लड़के की देश भर में बेइज्जती भी हुई. पुलिस की ट्रेनिंग में अब ऐसे वीडियो दिखाकर उन्हें उनकी गलती बताई जा रही है.
ट्रेनिंग करने वालीं वूमेन पावरलाइन की डिप्टी एसपी बबिता सिंह कहती हैं कि ”पिछली ड्राइव में पुलिस की बड़े पैमाने पर आलोचना हुई क्योंकि उसने वह काम किए जो उसे नहीं करने चाहिए थे. इस ट्रेनिंग के जरिए उन्हें सेन्सिटाइज़ किया जा रहा है कि जब कोई लड़का, लड़की को छेड़ रहा हो तभी उसे पकड़ा जाए. दोस्तों, मोहब्बत करने वालों को परेशान न करें.”
लखनऊ में वूमेन पावरलाइन के दफ्तर में यह ट्रेनिंग हो रही है, जिसके इंचार्ज आईजी नवनीत सिकेरा हैं. ट्रेनिंग में उन्हें बताया जा रहा है कि देश के कानून में न तो लड़के-लड़की का साथ बैठना जुर्म है और न मोहब्बत करना. इसलिए पुलिस मोहब्बत की दुश्मन न बने. सिकेरा बातचीत करने वाले अंदाज़ में मुहावरों और किस्से कहानियों की शक्ल में उन्हें जेंडर ट्रेनिंग देते हैं.
सिकेरा अपने लेक्चर में कहते हैं कि ”इसे आप अपने ऊपर रखकर सोचिए कि आपकी बेटी बाहर सर्विस करती है. साथ काम करने वाले लड़के को वह पसंद करती है. लड़का भी उसे पसंद करता है. दोनों एक-दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें लगता है कि वे शादी भी कर सकते हैं. वे किसी पार्क में बैठे आपस में बात कर रहे हैं. अब अगर एंटी रोमियो स्क्वाड वहां छापा मारकर उनकी फोटो खींचने लगे, उन्हें कान पकड़कर उट्ठक-बैठक कराने लगे तो आपके दिल पर क्या गुजरेगी. देश के कानून में दोस्ती या मोहब्बत करना अपराध नहीं है. इसलिए ऐसे लोगों को परेशान कर कानून न तोड़ें.”
ट्रेनिंग के लिए पांच-पांच जिलों के पुलिस के लोग बुलाए जा रहे हैं. पूरे यूपी के लोगों की ट्रेनिंग कराई जानी है, क्योंकि पुलिस में मॉर्डनाइज़ेशन और लेटेस्ट टेक्नालॉजी के इस्तेमाल से ज़्यादा ज़रूरत उनके माइंडसेट को बदलने की है.
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