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This Article is From Mar 26, 2020

कोरोनावायरस लॉकडाउन के बीच भूखों को खाना खिला रही लखनऊ पुलिस

खाना मिलने पर गरीबों के चेहरों पर संतोष है. लॉकडाउन के और बढ़ने की चर्चा से लोग डरे हुए हैं. ऐसे में इनके लिए दो वक्त का खाना बड़ी नेमत है. जिनके डंडों से ये सारी जिंदगी डरे रहे, अब उन्हें दुआएं दे रहे हैं.

कोरोनावायरस लॉकडाउन के बीच भूखों को खाना खिला रही लखनऊ पुलिस
लखनऊ पुलिस भूखों को खाना खिलाने का काम कर रही है.
लखनऊ:

देश में कोरोनावायरस की वजह से 21 दिनों के लिए सबकुछ बंद होने का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ा है. तमाम गरीब ऐसे हैं, जिनके पास खाने का इंतजाम भी नहीं है. लखनऊ पुलिस ने ऐसे तमाम लोगों को खाना खिलाने की जिम्मेदारी ली है. शायद हर भूखे को वह खाना न खिला पाएं, लेकिन फिर भी काफी का पेट भरेगा. पुलिस अब एक नए रोल में है. बहुत सारे लोग जो रोज कमाते और खाते थे, लॉकडाउन की वजह से उनका काम-धंधा बंद हो गया है. बहुत सारे लोग पुलिस के पास सिफारिशें कर रहे हैं कि उनके पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. चारबाग रेलवे स्टेशन के पास फुटपाथ पर लोगों की कतार लगी है. ये वो लोग हैं जो रोजाना कमाने खाने वाले थे और जिनका रोजगार बंद हो गया है.

इनमें कोई फकीर है, जिसे अब कोई भीख देने वाला नहीं. कोई रिक्शा वाला है, जिसके रिक्शे पर बैठने को अब कोई सवारी नहीं है. कुछ मजदूर भी हैं, जिनके पास कोई मजदूरी नहीं. पुलिस ने अब इन्हें दोनों वक्त खाना खिलाने की जिम्मेदारी ले ली है. इनकी खिदमत में ढेरों पुलिस लगी हुई है. लखनऊ ईस्ट के एसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया, 'यह 21 दिन तक रहेगा. इनका पहले हैंड सैनिटाइजर कराया गया है. दूरियां बना दी गई हैं, ताकि सुरक्षित रहें. साथ ही इनलोगों को एक-एक पानी की बोतल और एक-एक साबुन भी दिया गया है ताकि ये जब भी खाना खाएं पहले अपना हाथ धोएं. ये व्यवस्था 21 दिनों तक रहेगी.

खाना बनवाने में भी पुलिस लगी हुई है, क्योंकि जब सबकुछ बंद हो तो फिर इतने लोगों का खाना भी पुलिस ही बनवा सकती है. कोशिश की जा रही है कि हर पुलिस चॉकी क्षेत्र में उस इलाके के पुलिसवाले कुछ गरीब और बेसहारा लोगों को खाना खिलाएंगे. लखनऊ ईस्ट के डीसीपी दिनेश सिंह ने कहा, 'हमारी अलग-अलग चौकी क्षेत्रों में जो समस्याएं दिखाई दे रही है हम उसका उसी क्षेत्र में समाधान कर रहे हैं. यह लोकल चॉकी क्षेत्र है. चारबाग स्टेशन है. यहां पर कुछ संख्या ज्यादा है और मैं आलमबाग की तरफ से आ रहा था, वहां भी हम वितरण करा रहे हैं. जो हो पा रहा है वो व्यवस्था हम कर रहे हैं. आज तो हमने अपने स्तर पर यहां लोगों से मिलकर व्यवस्था कराई है. बहुत से संस्थाएं भी हमें मदद का प्रस्ताव दे रही हैं.

उधर, खाना मिलने पर गरीबों के चेहरों पर संतोष है. लॉकडाउन के और बढ़ने की चर्चा से लोग डरे हुए हैं. ऐसे में इनके लिए दो वक्त का खाना बड़ी नेमत है. जिनके डंडों से ये सारी जिंदगी डरे रहे हैं, अब उन्हें दुआएं दे रहे हैं.

मजदूरों और रिक्शा चालकों के सामने भोजन का संकट

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