प्रतीकात्मक फोटो.
- अब बैंकों में केवल जरूरतमंद ही लाइन में
- पुराने नोट बदलवाने की सीमा 4,500 से घटाकर 2,000 रुपये की
- शहर के करीब 50 फीसदी एटीएम अभी भी काम नहीं कर रहे
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कानपुर:
सरकार द्वारा पुराने नोट बदलवाने की सीमा 4,500 से घटाकर 2,000 रुपये किए जाने से आज कानपुर शहर के मुख्य बैंकों पर भीड़ कम हो गई. बैंक अधिकारियों का मानना है कि काले धन को सफेद धन बनाने के लिए कतार में लगने वाले दलालों की संख्या घटी है और अब केवल जरूरतमंद ही बैंक आ रहे हैं.
अब ज्यादातर लोग अपने खाते में पुराने नोट जमा करवाने आ रहे हैं, जो पहले भीड़ की वजह से नहीं आ रहे थे. वहीं दूसरी ओर शहर के करीब 50 फीसदी एटीएम अभी भी काम नहीं कर रहे. भीड़ केवल शहरों में कम हुई, ग्रामीण इलाकों के बैंकों में अभी भी गरीब जनता कतारों में लगी है.
बैंक आफ इंडिया की मॉल रोड स्थित मुख्य शाखा के मुख्य प्रबंधक प्रमोद कुमार आनंद ने आज पीटीआई भाषा को बताया कि पुराने नोट बदलकर नए नोट लेने की सीमा घटाए जाने से बैंक में करीब 50 प्रतिशत भीड़ कम हो गई है. केवल वही लोग बैंक आ रहे हैं जिन्हें वास्तव में पैसों की जरूरत है. इसके अलावा वे लोग आ रहे हैं जो अपने खातों में पुराने नोट जमा करवाना चाहते हैं.
आनंद के मुताबिक कल तक बैंक में भीड़ लगाने वाले लोगों में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा थी जो काले धन के बड़े व्यापारियों के पैसे सफेद करवाने आ रहे थे. यह लोग अलग-अलग आईडी जैसे आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और कभी राशन कार्ड लेकर पैसे बदलवाने बार-बार आते थे. बैंक कर्मचारियों ने ऐसे लोगों से पूछताछ की पता चला कि दलाली करके यह लोग दिन में कम से कम बीस हजार रुपये अलग-अलग बैंको में बदलवाते थे. इसके मेहनताने के रूप में शाम को उन्हें 1,000 रुपये मिलते थे.
ग्वालटोली स्थित बैंक आफ इंडिया के मैनेजर आरके सिंह का मानना है कि आज भीड़ थोड़ी घटी है. उन्होंने बताया कि उनके यहां आने वाली ज्यादातर महिलाएं हैं जो गरीब तबके से हैं और उन्हें पैसों की जरूरत है. बैंक आफ इंडिया के प्रमोद आनंद ने बताया, ‘‘अब हम लोगों के ज्यादा से ज्यादा नए खाते खोलने पर जोर दे रहे हैं. हम लोगों को बता रहे हैं कि खाता होने पर वह अपना पैसा जब चाहें उसमें जमा करवा सकते हैं और जब चाहें निकाल सकते हैं.’’ काला धन रखने वाले कई लोगों ने अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों को विभिन्न बैंकों की कतारों में लगा रखा था. लेकिन नोट बदलवाने की सीमा 4,500 रुपये से घटाकर 2,000 किए जाने से बैंकों के बाहर लगी कतार भी कम हो गई है.
हालांकि शहर के लगभग 50 फीसदी एटीएम बंद होने से जनता अभी भी परेशान हो रही है. जो एटीएम खुले हैं उनके बाहर अभी भी भारी भीड़ है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अब ज्यादातर लोग अपने खाते में पुराने नोट जमा करवाने आ रहे हैं, जो पहले भीड़ की वजह से नहीं आ रहे थे. वहीं दूसरी ओर शहर के करीब 50 फीसदी एटीएम अभी भी काम नहीं कर रहे. भीड़ केवल शहरों में कम हुई, ग्रामीण इलाकों के बैंकों में अभी भी गरीब जनता कतारों में लगी है.
बैंक आफ इंडिया की मॉल रोड स्थित मुख्य शाखा के मुख्य प्रबंधक प्रमोद कुमार आनंद ने आज पीटीआई भाषा को बताया कि पुराने नोट बदलकर नए नोट लेने की सीमा घटाए जाने से बैंक में करीब 50 प्रतिशत भीड़ कम हो गई है. केवल वही लोग बैंक आ रहे हैं जिन्हें वास्तव में पैसों की जरूरत है. इसके अलावा वे लोग आ रहे हैं जो अपने खातों में पुराने नोट जमा करवाना चाहते हैं.
आनंद के मुताबिक कल तक बैंक में भीड़ लगाने वाले लोगों में ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा थी जो काले धन के बड़े व्यापारियों के पैसे सफेद करवाने आ रहे थे. यह लोग अलग-अलग आईडी जैसे आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और कभी राशन कार्ड लेकर पैसे बदलवाने बार-बार आते थे. बैंक कर्मचारियों ने ऐसे लोगों से पूछताछ की पता चला कि दलाली करके यह लोग दिन में कम से कम बीस हजार रुपये अलग-अलग बैंको में बदलवाते थे. इसके मेहनताने के रूप में शाम को उन्हें 1,000 रुपये मिलते थे.
ग्वालटोली स्थित बैंक आफ इंडिया के मैनेजर आरके सिंह का मानना है कि आज भीड़ थोड़ी घटी है. उन्होंने बताया कि उनके यहां आने वाली ज्यादातर महिलाएं हैं जो गरीब तबके से हैं और उन्हें पैसों की जरूरत है. बैंक आफ इंडिया के प्रमोद आनंद ने बताया, ‘‘अब हम लोगों के ज्यादा से ज्यादा नए खाते खोलने पर जोर दे रहे हैं. हम लोगों को बता रहे हैं कि खाता होने पर वह अपना पैसा जब चाहें उसमें जमा करवा सकते हैं और जब चाहें निकाल सकते हैं.’’ काला धन रखने वाले कई लोगों ने अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों को विभिन्न बैंकों की कतारों में लगा रखा था. लेकिन नोट बदलवाने की सीमा 4,500 रुपये से घटाकर 2,000 किए जाने से बैंकों के बाहर लगी कतार भी कम हो गई है.
हालांकि शहर के लगभग 50 फीसदी एटीएम बंद होने से जनता अभी भी परेशान हो रही है. जो एटीएम खुले हैं उनके बाहर अभी भी भारी भीड़ है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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