कानपुर के चौबेपुर में बृहस्पतिवार देर रात दबिश देने गई पुलिस टीम पर हमला कर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाला कुख्यात अपराधी विकास दुबे (Vikas Dubey) बड़े पैमाने पर चलाये जा रहे तलाशी अभियान के बावजूद अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. पिछले 48 घंटों में पुलिस की 25 से ज्यादा टीमों ने विकास की तलाश में 100 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की. पुलिस की टीम नेपाल सीमा और अन्य राज्यों में भी तलाशी अभियान चला रही है. वहीं, दुबे पर इनाम की राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है. दुबे पर हत्या और हत्या के प्रयास समेत 60 से ज्यादा केस दर्ज हैं.
विकास दुबे की मौजूदा लोकेशन पता लगाने के लिए सर्विलांस टीम लगभग 500 मोबाइल फोन की छानबीन कर रही है और उससे विकास दुबे के बारे में सुराग लगाने का प्रयास कर रही है. इतने बड़े पैमाने पर छापेमारी और खोज अभियान के बावजूद दुबे का अब तक पता नहीं चल पाया है.
इस तरह की भी खबरें आ रही हैं कि दुबे अदालत में समर्पण कर सकता है, लेकिन एनडीटीवी ने इस तरह की खबर को सत्यापित नहीं किया है. समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के अनुसार, दुबे की मां का कहना है कि "विकास दुबे जहां भी हो उसे मार दिया जाना चाहिए." उनके बेटे के साथ किसी भी तरह की दया नहीं दिखाई जानी चाहिए.
शनिवार को कानपुर जिला प्रशासन ने विकास दुबे के घर को बुलडोजर से ढहा दिया. इस दौरान, गांव में भारी संख्या में पुलिस बल मौजद रहा. बताया जा रहा था कि यह घर गैर-कानूनी तरीके से बनाया गया था.
भाषा की खबर के मुताबिक, आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद शक के घेरे में आए चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी को निलंबित कर दिया गया है.
कानपुर के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने पत्रकारों को बताया, "थानाध्यक्ष विनय तिवारी के ऊपर लग रहे आरोपों के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया है. इन आरोपों की गहन तरीके से जांच की जा रही है. अगर उनका या किसी भी पुलिसकर्मी का इस घटना से कोई संबंध निकला तो उसे न केवल बर्खास्त किया जाएगा बल्कि जेल भी भेजा जाएगा.''
पुलिस सूत्रों के मुताबिक कुछ पुलिसकर्मियों से भी पूछताछ की जा रही है ताकि यह जाना जा सके कि दुबे को उसके घर पर पुलिस की छापेमारी के बारे में पहले से खबर कैसे लगी जिससे उसने पूरी तैयारी के साथ पुलिस दल पर हमला किया.
पुलिस द्वारा विकास दुबे का घर गिराये जाने के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा, ''गांव के लोगों का कहना है कि दुबे ने दबंगई और गुंडागर्दी से लोगों की जमीन पर कब्जा किया था और लोगो से वसूली कर घर बनाया था. गांव में यह अपराध का गढ़ था जिससे गांव वालों में उसके प्रति बहुत गुस्सा था.'' उन्होंने बताया कि दुबे के परिवार वालों पर गांव के नाराज लोगों ने हमला भी किया था लेकिन पुलिस की मौजूदगी के कारण कोई हादसा नहीं हुआ.
(भाषा के इनपुट के साथ)