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This Article is From Nov 10, 2017

हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर पर रासुका लगाने के विरोध में भूख हड़ताल

यूपी में भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर की जमानत के बाद एनएसए यानी रासुका लगाने का विरोध शुरू हो गया है.

हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर पर रासुका लगाने के विरोध में भूख हड़ताल
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर (फाइल फोटो)
  • भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर के खिलाफ रासुका की कार्रवाई.
  • सहारनपुर हिंसा में चंद्रशेखर उर्फ रावण मुख्य आरोपी है.
  • चंद्रशेखर के समर्थक भूख हड़ताल पर बैठे हैं.
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लखनऊ: यूपी में भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर की जमानत के बाद एनएसए यानी रासुका लगाने का विरोध शुरू हो गया है. चंद्रशेखर को हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद जिला प्रशासन ने उन पर रासुका लगा कर उन्हें जेल में तामील करा दिया ताकि वो बाहर ना आने पाए. उनके समर्थक इसके खिलाफ धरने पर बैठ गये हैं. उनका इल्जाम है कि बीजेपी सरकार को डर है कि पंचायत चुनाव के बीच अगर चंद्रशेखर बाहर आएंगे तो सहारनपुर में वो दलितों को बीजेपी के खिलाफ गोलबंद कर सकते हैं, जहां दलित आबादी 33 फीसदी है. 

चंद्रशेखर की समर्थक नागमती का कहना है कि हम भूख हड़ताल पर बैठे हैं. ना हम खाएं और ना पानी पीएंगे. जब तक चंद्रशेखर, प्रधान और सोनू पर से रासुका नहीं हटेगी, तब तक हम भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे. हम अंत तक नहीं उठेंगे. यहीं प्राण त्याग देंगे. 

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वहीं, सहारनपुर के एसएसपी बबलू कुमार का कहना है कि पिछले दिनों सहारनपुर जनपद में हिंसात्मक घटनाएं हुई थीं. 5 मई की घटनाओं के आरोप में वो जेल में हैं. उनके ऊपर रासुका की कार्रवाई की गई है. उनका कहना है कि चंद्रशेखर के ऊपर कानून-व्यवस्था, लोक-व्यवस्था छिन्न-भिन्न करने का आरोप है. 

पूर्व डीआईजी और दलित कार्यकर्ता एस आर दारापुरी का कहना है कि चंद्रशेखर पर जो रासुका लगाया गया है, वह कानून का खुला दुरूपयोग है, क्योंकि चंद्रशेखर का ऐसा कोई अपराध नहीं था कि उस पर रासुका गाया जाता. शायद भाजपा सरकार चंद्रशेखर को इसलिए बाहर नहीं आने देना चाहती क्योंकि इस समय नगर निताय के चुनाव हैं और चंद्रशेखर दलित वोट को प्रभावित कर सकता है. जबकि भाजपा दलितों और पिछड़ों के वोट हथियाने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपना रही है. 

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बता दें कि सहारनपुर में 33 फीसदी दलित वोट हैं और 33 फीसदी मुस्लिम वोट. पिछले दिनों सहारनपुर के बड़े मुस्लिम नेता इमरान मसुद ने भी चंद्रशेखर को समर्थन देने की बात का ऐलान किया था. फिलहाल, चंद्रशेखर गंभीर रूप से बीमार चल रहे हैं और मेरठ के अस्पताल में भर्ती हैं.

बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून शांति भंग के आदेश में तामील होता है. इस कानून को डीएम लगाता है. रासुका लगाने की जानकारी 7 दिन में स्टेट एडवाइजरी बोर्ड को दी जाती है. 3 हफ्ते में सुनवाई होती है. इसमें आरोपी को वकील करने की इजाजत नहीं होती. बोर्ड की मंजूरी के बाद प्रशासन इसे बोर्ड के इजाजत के बिना 3 महीने, एक साल तक लागू रख सकती है. 

VIDEO - भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर गिरफ्तार

 

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