'फांसी की सज़ा'

- 43 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Reported by: NDTV इंडिया, Edited by: अनिशा कुमारी |सोमवार अक्टूबर 16, 2023 02:18 PM IST
    Nithari Kand Update: बता दें कि 29 दिसंबर, 2006 को गौतम बुद्ध नगर के निठारी इलाके में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे स्थित नाले से 19 कंकाल बरामद किए गए थे. इस मामले में कोली और पंढेर को नोएडा की पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
  • India | Edited by: विवेक रस्तोगी |शुक्रवार अप्रैल 21, 2023 03:01 PM IST
    वर्ष 2002 में 27 फरवरी को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी को बंद कर आग लगा देने वाले 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज़मानत दे दी है. उम्रकैद की सज़ा काट रहे इन दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत दी गई है, क्योंकि ये सभी 17 से 20 साल की सज़ा काट चुके हैं. लेकिन कोर्ट ने इसी केस के उन चार दोषियों को ज़मानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें निचली अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी, लेकिन फिर हाईकोर्ट ने सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया था. आइए जानते हैं, क्या था गोधरा कांड.
  • India | Edited by: चंदन वत्स |बुधवार दिसम्बर 14, 2022 11:31 PM IST
    Delhi Acid Attack: अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. अपराधियों की इतनी हिम्मत आख़िर हो कैसे गई? अपराधियों को सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: चंदन वत्स |मंगलवार जून 7, 2022 10:21 PM IST
    मदनी ने कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि हाईकोर्ट से उनको पूरा न्याय मिलेगा. ऐसे कई मामले हैं जिनमें निचली अदालतों ने सज़ा दी, लेकिन हाईकोर्ट में चुनौती देने पर पूरा इन्साफ़ हुआ.
  • India | Edited by: आनंद नायक |शुक्रवार फ़रवरी 18, 2022 12:51 PM IST
    अहमदाबाद के वर्ष 2008 के बहुचर्चित सीरियल ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को सजा का ऐलान किया है. अहमदाबाद की अदालत ने मामले में 49 में से 38 आरोपियों को फांसी की सज़ा सुनाई है. बता दें, 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में 21 ठिकानों पर हुए बम धमाकों में 56 की मौत हुई थी और 250 से ज्‍यादा लोग जख्मी हुए थे. इन धमाकों की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन (IM) ने ली थी.
  • Career | Reported by: भाषा |बुधवार मई 6, 2020 10:48 AM IST
    भारत के इतिहास में छह मई का दिन आतंक के एक खौफनाक अध्याय से जुड़ा है. करीब एक दशक पहले मुंबई पर हमला करने वाले आतंकवादियों में से जिंदा पकड़े गए एकमात्र आतंकवादी अजमल कसाब को छह मई को ही फांसी की सजा सुनाई गई थी. 26 नवंबर, 2008 का वह दिन आज भी प्रत्येक देशवासी के रोंगटे खड़े कर देता है, जब देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में दस आतंकवादियों ने घातक हमला किया था. सुरक्षा बलों ने नौ आतंकवादियों को मार गिराया, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में सफलता मिली. हमले में 166 लोग मारे गए थे और सैकड़ों अन्य घायल हुए. कसाब को 6 मई, 2010 को विशेष अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सुबोध आनंद गार्ग्य |शुक्रवार मार्च 20, 2020 03:46 AM IST
    Nirbhaya Case Upade:  सुप्रीम कोर्ट से निर्भया के दोषियों को बड़ा झटका मिला है.चारों दोषियों को फांसी देने का रास्ता साफ हो गया है.सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया है. शुक्रवार सुबह साढ़े 5 बजे दोषियों को फांसी दी जाएगी. जज भानुमति ने कहा कि याचिकाकर्ता की यह दलील की अभी नाबालिग होने के तथ्य पर कोई फैसला नहीं हुआ है इस दलील में कोई आधार नहीं है.जबकि कोर्ट पहले ही इसे खारिज कर चुका है.
  • Blogs | प्रियदर्शन |शनिवार दिसम्बर 12, 2020 01:07 AM IST
    निर्भया की मां आशा देवी का दुख निस्संदेह बहुत बड़ा है. इस दुख को समझना मुश्किल नहीं है. उनकी बेटी के साथ बहुत बर्बर और घृणित व्यवहार हुआ और उसके मुजरिमों को अब तक सज़ा नहीं मिली है. लेकिन सांत्वना की बात इतनी भर है कि ये मुजरिम सजा के बिल्कुल आख़िरी सिरे पर हैं, ख़ुद को मिले अंतिम क़ानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं और इनकी सज़ा के लिए गिनती के दिन रह गए हैं. यही नहीं, न्याय से जुड़ी संस्थाएं जितनी तेज़ी से न्याय की इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही हैं, वह रफ़्तार किसी और केस में दिखाई नहीं पड़ती.
  • India | Edited by: सचिन झा शेखर |मंगलवार दिसम्बर 3, 2019 03:28 PM IST
    मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा हैं "वर्तमान में जब संसद का सत्र जारी है केन्द्र को चाहिए कि वह खासकर महिलाओं के रेप व मर्डर मामले में देश की चिन्ताओं के मद्देनजर तत्काल ऐसा सख्त कानून बनाए जो निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में निर्धारित न्यूनतम समय के भीतर मामले का निपटारा करके दोषियों को फांसी की सज़ा दे" 
  • Blogs | रवीश कुमार |रविवार अक्टूबर 6, 2019 08:16 AM IST
    यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है. मामला सुप्रीम कोर्ट में था तो कैसे पेड़ काटे गए. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में मामला था तो पेड़ कैसे काटे गए. क्या अब से फांसी की सज़ा हाईकोर्ट के बाद ही दे दी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट में अपील का कोई मतलब नहीं रहेगा? वहां चल रही सुनवाई का इंतज़ार नहीं होगा? आरे के पेड़ों को इस देश की सर्वोच्च अदालत का भी न्याय नहीं मिला. उसके पहले ही वे काट दिए गए. मार दिए गए.
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