Blogs | सोमवार जनवरी 26, 2015 08:16 PM IST कभी किसी के कमरे के बाहर से तो कभी किसी की बैठक में पीछे से झांकता वो आम आदमी कार्टून के छोटे से बक्से में भी कितना बड़ा था। जिसे रोज़ आर के लक्ष्मण हमारे लिए खींचा करते थे। कभी अपनी मुस्कान से तो कभी बेपरवाही से ऐसे देखना कि जैसे किसी ने देखा ही नहीं तो कभी ऐसे देखना कि सब देख लिया है।