India | Reported by: आशीष भार्गव |गुरुवार जुलाई 19, 2018 01:31 PM IST केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राजू राम चंद्रण ने कहा कि सबरीमाला में एक उम्र सीमा के महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी उसी तरह है जैसे दलितों के साथ छुआछूत. मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस राजू राम चंद्रन ने कहा अगर किसी महिला को मासिक धर्म की वजह से रोका जाता है तो ये भी दलितों से छुआछूत की तरह भेदभाव जैसा है. बता दें कि केरल हाईकोर्ट ने इस पाबन्दी को सही ठहराते हुए कहा था कि मंदिर जाने से पहले 41 दिन का ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होता है. महिलाएं मासिक धर्म की वजह से अपवित्र होती हैं और वो इसे पूर्ण नहीं कर पातीं. लिहाज़ा उनके प्रवेश पर पाबंदी जायज है. केरल हाइकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.