'Sabarimala case in SC'

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  • India | भाषा |बुधवार अक्टूबर 24, 2018 12:23 PM IST
    केरल के सबरीमला में भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने वाली बीएसएनएल की कर्मी रेहाना फातिमा का तबादला शहर के पलारीवत्तोम टेलीफोन एक्सचेंज में कर दिया गया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि स्थानीय बोट जेटी शाखा की ग्राहक सुविधा इकाई में तकनीशियन के तौर पर काम करने वालीं फातिमा का मंगलवार को पलारीवत्तोम टेलीफोन एक्सचेंज में तबादला कर दिया.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |सोमवार अक्टूबर 22, 2018 12:27 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट सबरीमला मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई की तारीख कल तय करेगा. CJI ने कहा कि हमें पता है कि इस मामले में संविधान पीठ के फैसले पर 19 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल हैं. नेशनल अयप्पा डिवोटी एसोसिएशन ने इस मामले की जल्द सुनवाई की मांग की है.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |मंगलवार अक्टूबर 9, 2018 11:43 AM IST
    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने कहा कि ये केस नियमित तरीके से सुना जाएगा. CJI गोगोई ने कहा कि कितनी भी जल्दी हो तो 16 अक्‍टूबर से पहले ये संभव नहीं है.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |शुक्रवार सितम्बर 28, 2018 12:03 AM IST
    केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ शुक्रवार को फैसला सुनाएगी. फिलहाल 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है.
  • Faith | ख़बर न्यूज़ डेस्क |बुधवार जुलाई 25, 2018 05:06 PM IST
    सबरीमाला मंदिर विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील पर सहमति नहीं जताई कि बिना किसी व्यवधान के निरंतर जारी 'परंपरा और रीति रिवाजों' को 'आधुनिक सिद्धांतों ' के आधार पर जांचा-परखा नहीं जा सकता.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |गुरुवार जुलाई 19, 2018 01:31 PM IST
    केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी राजू राम चंद्रण ने कहा कि सबरीमाला में एक उम्र सीमा के महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी उसी तरह है जैसे दलितों के साथ छुआछूत. मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस राजू राम चंद्रन ने कहा अगर किसी महिला को मासिक धर्म की वजह से रोका जाता है तो ये भी दलितों से छुआछूत की तरह भेदभाव जैसा है. बता दें कि केरल हाईकोर्ट ने इस पाबन्दी को सही ठहराते हुए कहा था कि मंदिर जाने से पहले 41 दिन का ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होता है. महिलाएं मासिक धर्म की वजह से अपवित्र होती हैं और वो इसे पूर्ण नहीं कर पातीं. लिहाज़ा उनके प्रवेश पर पाबंदी जायज है. केरल हाइकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
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