Blogs | रवीश रंजन शुक्ला |बुधवार अप्रैल 14, 2021 08:35 PM IST पिछले साल 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 'पुलिस और स्वास्थ्य कर्मियों की तरह मीडिया की भी इस महामारी से लड़ने में अहम भूमिका होगी.' कोरोना काल में ज्यादातर पत्रकारों ने काम के दौरान अपने जान की बाजी लगा दी...अस्पताल से लेकर श्मशान तक और सड़क से लेकर खलिहान तक की रिपोर्टिंग की. आम लोगों की समस्या को सरकार के सामने लाए, लेकिन वैक्सीन आने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य कर्मी तो फ्रंटलाइन वर्कर माने गए लेकिन पत्रकारों को इस वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में सरकारी बाबुओं ने दूध में मक्खी की तरह बाहर कर दिया. जबकि इस दौरान देशभर में 50 से ज्यादा पत्रकारों की कोरोना से मौत हुई, सैकड़ों बीमार हुए...हजारों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ा...लेकिन मरने के बाद करीब 40 पत्रकारों को 5 लाख की आर्थिक मदद देकर सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया.