Blogs | शुक्रवार नवम्बर 21, 2014 09:23 PM IST रामपाल जैसे बाबाओं का उद्गम स्थल भले ही मीडिया न हो, लेकिन उनके प्रचार प्रसार का माध्यम तो है ही। किसी नाटक के राजा की तरह सजे धजे ज्योतिषाचार्यों से लैस तमाम चैनल आपको पड़ोसी के घर में दही फेंक आने से लेकर पीला कुर्ता पहनकर सलाह देते रहे हैं।