Blogs | प्रियदर्शन |गुरुवार अप्रैल 8, 2021 11:04 AM IST 'पहल' के पहले दौर से भी मैं जुड़ा रहा - एक पाठक की तरह और एक 'पहल' विक्रेता की तरह. यह 87 से 90 के बीच के कभी के दिन थे, जब रांची में रहते हुए और जन संस्कृति मंच के लिए उत्साह और सक्रियता से काम करते हुए हम बाहर की पत्रिकाएं बांटना-बेचना भी अपना कर्तव्य समझते थे.