Blogs | निधि कुलपति |बुधवार मई 24, 2017 11:49 PM IST त्रीउन्ड शायद कुछ ही दूर रहा गया था. खुशी भी थी और पहुंचने का रोमांच भी. हिम्मत बांधते चल ही रहे थे कि अचानक बादलों ने घेर लिया. हल्की बारिश होने लगी और ओले पड़ने लगे. हाथों में कुछ ओलों को मैंने पकड़ा भी. बचपन याद आ गया. धीरज के कहने पर रेनकोट पहन लिया लेकिन फिर फिसलन का अहसास होने लगा. पत्थर और बड़े मिल रहे थे. रास्ता और संकरा मिल रहा था...