'Labour Code Bills'

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  • India | Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार सितम्बर 23, 2020 08:19 PM IST
    सरकार ने विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद राज्यसभा (Rajya Sabha) में पिछले सिर्फ दो दिनों में 15 बिल पारित करा लिए. बुधवार को राज्यसभा में आठ बिल पारित हुए जिनमें श्रम सुधार से जुड़े तीन विवादित लेबर कोड बिल (Labor code bills) शामिल हैं. आरएसएस (RSS) से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने कहा है कि सरकार ने जल्दबाजी में ये बिल पारित कराए हैं और उनकी मांगों को सरकार ने बिल में शामिल नहीं किया है.
  • India | Reported by: अखिलेश शर्मा, सुनील प्रभु, Edited by: राहुल सिंह |बुधवार सितम्बर 23, 2020 02:38 PM IST
    संसद का मानसून सत्र (Monsoon Session of Parliament) जारी है. कृषि व अन्य विधेयकों को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार पर हमलावर हैं और सभी दल सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं. विपक्षी दलों के सदन की कार्यवाही के बॉयकॉट के बावजूद राज्यसभा (Rajya Sabha) में आज (बुधवार) तीन लेबर कोड बिलों (Labour Code Bills) को पारित कर दिया गया है.
  • India | Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: राहुल सिंह |बुधवार सितम्बर 23, 2020 12:19 PM IST
    BMS के जोनल सेक्रेटरी पवन कुमार ने कहा, 'जिस तरह से सरकार ने तीन लेबर कोड बिल पारित किए हैं, हम उसका विरोध करते हैं. सरकार ने लेबर कोड बिल जल्दबाजी में पारित कराएं, जो ठीक नहीं हैं. इस पर विस्तार से चर्चा नहीं हो पाई. सरकार ने हमारी महत्वपूर्ण मांगें नहीं मानी हैं. हमने मांग की थी कि सोशल सिक्योरिटी कोड के तहत मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था यूनिवर्सलाइज करनी चाहिए. यानी देश के हर मजदूर को सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का फायदा मिलना चाहिए लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.'
  • India | Edited by: नितेश श्रीवास्तव |बुधवार सितम्बर 23, 2020 03:48 PM IST
    Parliament Monsoon Session Live Update:  कोरोना वायरस महामारी के साये में आयोजित राज्यसभा का ‘‘ऐतिहासिक’’ मानसून सत्र बुधवार को अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया. छोटी सी अवधि होने के बावजूद सत्र के दौरान 25 विधेयकों को पारित किया जबकि हंगामे के कारण आठ विपक्षी सदस्यों को रविवार को शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया. सभापति एम वेंकैया नायडू ने सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि यह सत्र कुछ मामलों में ऐतिहासिक रहा क्योंकि इस दौरान उच्च सदन के सदस्यों को बैठने की नयी व्यवस्था के तहत पांच अन्य स्थानों पर बैठाया गया. ऐसा उच्च सदन के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. इसके अलावा सदन ने लगातार दस दिनों तक काम किया. शनिवार और रविवार को सदन में अवकाश नहीं रहा. 
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