Blogs | प्रियदर्शन |मंगलवार जून 15, 2021 09:12 PM IST 'ऐसा लगता है जैसे असहमति को दबाने की अपनी फ़िक्र में, राज्य के दिमाग में वह रेखा कुछ धुंधली होती जा रही है जो विरोध के संविधान प्रदत्त अधिकार और आतंकवादी गतिविधियों के बीच होती है. अगर इस मानसिकता को बल मिलता है तो यह लोकतंत्र के लिए उदास करने वाला दिन होगा.'