Blogs | बुधवार नवम्बर 19, 2014 04:34 PM IST केदारनाथ के आध्यात्मिक अनुभव को लेखक ने अपने पांव की बेड़ी नहीं बनने दिया है। उन्होंने बहुत बारीकी से इस बात का मुआयना किया है कि त्रासदी की तात्कालिक और दूरगामी वजहें क्या-क्या रहीं और कैसे एक प्राकृतिक परिघटना एक मानवीय त्रासदी में परिवर्तित हो गई।