Blogs | प्रियदर्शन |सोमवार फ़रवरी 4, 2019 03:54 PM IST चिटफंड घोटाले इस देश में नए नहीं हैं. यह बात भी नई नहीं है कि किसी भी दूसरे उद्योग-धंधे के मुकाबले चिटफंड कंपनियों के मालिक राजनीतिक दलों के ज़्यादा क़रीब देखे गए हैं. यही नहीं, ये चिटफंड कंपनियां मीडिया में भी हाथ आज़माती रही हैं. पिछले दो-तीन दशकों में कई चिटफंड कंपनियां शुरू और बंद हुईं और उनके साथ बहुत से गरीबों और मध्यमवर्गीय लोगों की मेहनत की कमाई भी लुट गई.