अपने पहले ही ओलिंपिक में रजत पदक जीतने वाले विजय को मलाल है कि सेना में उनके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन को अहमियत नहीं मिली और पिछले छह वर्षों में उन्हें कोई पदोन्नति नहीं दी गई।
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लंदन:
लंदन ओलिंपिक के सबसे कामयाब निशानेबाज विजय कुमार शर्मा भारतीय सेना से नाता तोड़ना चाहते हैं। अपने पहले ही ओलिंपिक में रजत पदक जीतने वाले विजय को मलाल है कि सेना में उनके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन को अहमियत नहीं मिली और पिछले छह वर्षों में उन्हें कोई पदोन्नति नहीं दी गई।
लंदन ओलिंपिक में 25 मी रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में दूसरा स्थान हासिल करने वाले विजय भारतीय सेना में 16 डोगरा रेजीमेंट के द्वितीय श्रेणी में सूबेदार हैं।
विजय ने लंदन में एनडीटीवी से विशेष बातचीत में यह इच्छा जताते हुए कहा, ‘‘निशानेबाजी में मुझे भारतीय सेना से काफी मदद मिली जिसमें कोचिंग सुविधा और पिस्टल तथा कारतूस शामिल हैं। लेकिन मेरी रोजमर्रा की जरूरतें पूरे करने के लिये धन की जरूरत होती है।’’
इस 26 वर्षीय निशानेबाज ने हालांकि ओलिंपिक पदक का श्रेय अपने परिवार, प्रायोजक, सेना और कोचों को दिया लेकिन उन्होंने कहा, ‘‘2006 से मैंने कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं, जिसमें राष्ट्रमंडल खेलों के तीन स्वर्ण और एक रजत तथा अन्य पदक शामिल हैं। लेकिन कोई भी मेरी सिफारिश नहीं भेज रहा। मुझे कोई पदोन्नति या मानद सम्मान नहीं मिला और किसी तरह की अन्य सुविधा नहीं मिली है।’’
छह बार के राष्ट्रीय चैम्पियन विजय ने आईएसएसएफ विश्व कप में दो रजत पदक प्राप्त किये हैं और ग्वांग्झू एशियाई खेलों में वह रैपिड फायर में पदक से चूक गये लेकिन उन्होंने एयर पिस्टल और सेंटर फायर पिस्टल में दो कांस्य अपने नाम किये थे। दोहा में एशियाई शूटिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
लंदन ओलिंपिक में 25 मी रैपिड फायर पिस्टल स्पर्धा में दूसरा स्थान हासिल करने वाले विजय भारतीय सेना में 16 डोगरा रेजीमेंट के द्वितीय श्रेणी में सूबेदार हैं।
विजय ने लंदन में एनडीटीवी से विशेष बातचीत में यह इच्छा जताते हुए कहा, ‘‘निशानेबाजी में मुझे भारतीय सेना से काफी मदद मिली जिसमें कोचिंग सुविधा और पिस्टल तथा कारतूस शामिल हैं। लेकिन मेरी रोजमर्रा की जरूरतें पूरे करने के लिये धन की जरूरत होती है।’’
इस 26 वर्षीय निशानेबाज ने हालांकि ओलिंपिक पदक का श्रेय अपने परिवार, प्रायोजक, सेना और कोचों को दिया लेकिन उन्होंने कहा, ‘‘2006 से मैंने कई अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं, जिसमें राष्ट्रमंडल खेलों के तीन स्वर्ण और एक रजत तथा अन्य पदक शामिल हैं। लेकिन कोई भी मेरी सिफारिश नहीं भेज रहा। मुझे कोई पदोन्नति या मानद सम्मान नहीं मिला और किसी तरह की अन्य सुविधा नहीं मिली है।’’
छह बार के राष्ट्रीय चैम्पियन विजय ने आईएसएसएफ विश्व कप में दो रजत पदक प्राप्त किये हैं और ग्वांग्झू एशियाई खेलों में वह रैपिड फायर में पदक से चूक गये लेकिन उन्होंने एयर पिस्टल और सेंटर फायर पिस्टल में दो कांस्य अपने नाम किये थे। दोहा में एशियाई शूटिंग चैम्पियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
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