- शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन की कोशिश जारी
- लेकिन अब तक इस पर कोई आख़िरी फ़ैसला नहीं हुआ है
- 17 नवंबर को दिल्ली में सोनिया गांधी से शरद पवार मुलाक़ात करेंगे
महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सरकार गठन की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन अब तक इस पर कोई आख़िरी फ़ैसला नहीं हुआ है. तीनों पार्टियों की कोशिश है कि अगले 20 दिन में नई सरकार गठन का काम हो जाए. इसी बाबत कल मुंबई में पहली बार तीनों दलों की साथ बैठक हुई. जिसमें एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम का प्रारूप तैयार कर लिया गया है. इसके बाद तीनों पार्टियों के बड़े नेता आपस में मिलकर विचार करेंगे. पहले इस प्रारूप को तीनों पार्टियों के बड़े नेता देखेंगे. फिर तीनों की आम सहमति बनेगी. ख़बर ये भी है कि 17 नवंबर को दिल्ली में सोनिया गांधी से शरद पवार मुलाक़ात करेंगे. तभी कुछ भी आख़िरी निर्णय लिया जा सकेगा. हालांकि इस पूरे जोड़-तोड़ के बीच कांग्रेस बहुत फूंक-फूंककर क़दम रख रही है.
Shiv Sena leader Sanjay Raut on being asked 'if Shiv Sena CM will be for 5 years or CM will be for 2.5 years each from NCP and Shiv Sena?': Hum toh chahte hain aane wale 25 saal tak Shiv Sena ka CM rahe, aap 5 saal ki baat kyun karte ho. pic.twitter.com/ZH69LUDoTG
— ANI (@ANI) November 15, 2019
उधर, आज यह पूछे जाने पर कि 'क्या शिवसेना का मुख्यमंत्री पांच साल के लिए होगा, या ढाई-ढाई साल के लिए NCP और शिवसेना के मुख्यमंत्री होंगे', शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा, "हम तो चाहते हैं कि आने वाले 25 साल तक शिवसेना का CM रहे, आप पांच साल की बात क्यों करते हो..." दूसरी तरफ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता नवाब मलिक ने कहा, "सवाल बार-बार पूछा जा रहा है कि शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा क्या...? CM के पद को लेकर ही शिवसेना और BJP के बीच विवाद हुआ, तो निश्चित रूप से CM शिवसेना का होगा... शिवसेना को अपमानित किया गया है, उनका स्वाभिमान बनाए रखना हमारी ज़िम्मेदारी बनती है..."
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घटनाक्रम पर कांग्रेस की निगाहें
महाराष्ट्र के हालिया घटनाक्रम को लेकर कहा जा रहा है कि कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) काफी खुश हैं. पार्टी सूत्रों ने कहा कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के अलग होने के कारण विभाजित कांग्रेस और उसकी सहयोगी शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) एक बार फिर एकजुट हो गई हैं. उनके लिए यह घटनाक्रम किसी वरदान से कम नहीं है. राज्य में कांग्रेस 20 वर्षो से कांग्रेस और राकांपा के रूप में विभाजित रही है और साथ ही भारी मतभेदों को झेलने के बाद भी एक-दूसरे का समय-समय पर सहयोग करती आई है.
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