क्या कहा... आप दोनों साथ बैठकर भी बातें नहीं करते... आज एक तो आजकल लाइफ इनती व्यस्त हो गई है कि साथ बैठने के लिए टाइम निकालना नहीं जीवन से चुराना पडता है और आप दोनों हैं कि साथ बैठ कर भी बातें नहीं करते...
कभी-कभी के लिए तो ठीक है, लेकिन अगर यही चुप्पी आप दोनों के बीच अक्सर रहती हैं अगर आप इस बात से परेशान हैं तो पर ये जरा परेशान करने वाली बात है। कहीं आप इसलिए तो चुप नहीं रहते कि साथी आपकी बातों से जल्दी उकता जाता है और आप दोनों के बीच बातचीत शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाती है, तो आप दोनों को जरूरत है एक-दूसरे को खंगालने की। जी बिलकुल, भले ही आप सालों से साथ हैं, लेकिन अगर आप दोनों के बीच में चुप्पी ने जगह बना ली है, तो जरूरत है एक दूसरे को फिर से जानने समझने की...
बात करें पंसद की...
एक-दूसरे से बात करें। दोबारा अपनी पंसद-नापसंद को साझा करें। किसी टॉपिक पर बात करना शुरू करें और एक दूसरे को समझने के लिए बातें छेड़ दें। अगर बात करने के लिए कोई विषय नहीं है तो भी उनसे अपनी पसंद न पसंद की ही बातें करने लगें। पर इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि आप ही बोलते न रहें, उन्हें भी बोलने दें। फिर देखें बातों का सिलसिला ऐसा चलेगा कि रुकेगा ही नहीं...
अनुभव करें साझा
अगर आपको लग रहा है कि बहुत देर से आप दोनों चुप बैठें हैं तो कुछ और नहीं तो अपने रिश्ते के बीते दिनों की बात करना शुरू कर दें। हो सकता है कि उनके मन में कोई कडवाहट हो, ऐसा करने से वह कडवाहट भूल कर आपसे गप्पे मारने लगेंगे।
बीत गया उसकी बात...
यह जरूरी नहीं कि अगर आप दोनों अपने रिश्ते के पुराने दिनों की बात करें, तो आपसी झगड़ों पर बहस शुरू कर दें या अपने पुराने रिश्तों से मनमुटाव बढ़ा लें। अगर आप इस रिश्ते से पहले भी किसी रिश्ते में रह चुके हैं, जिसके बारे में साथ को पता है, तो उस रिश्ते के बारे में बातें करने से बचें।