- वोट वाइब्स एग्जिट पोल के मुताबिक, युवाओं में 40.9% लोग तेजस्वी से प्रभावित हैं और उन्हें सीएम देखना चाहते हैं
- एक्सिस माई इंडिया का अनुमान है कि पहली बार वोट डालने वालों के 46% तेजस्वी के महागठबंधन को मिल सकते हैं
- तेजस्वी का युवा चेहरा, तेजतर्रार नेतृत्व, विकास पर जोर, युवाओं के मुद्दों पर फोकस उन्हें यूथ से जोड़ता है
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने में दो दिन बाकी हैं. परिणाम चाहे जो भी हों, लेकिन अब तक सामने आए कई एग्जिट पोल्स से एक बात तो साफ नजर आती है कि बिहार के युवाओं के दिल में तेजस्वी यादव का तेज तेजी से जगह बना रहा है. युवाओं के वोट हों या फिर मुख्यमंत्री के चेहरे की चॉइस, तेजस्वी बिहार के यूथ के चहेते नेता की तरह उभर रहे हैं. अब सवाल ये है कि तेजस्वी यादव में ऐसा क्या है, जो वह बिहार के युवाओं के फेवरिट बन रहे हैं, आइए समझते हैं.
युवाओं को तेजस्वी में दिखता है भावी सीएम
वोट वाइब्स के एग्जिट पोल को देखें तो 35.2 फीसदी बिहार के लोग तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर देखते हैं. वहीं इस मामले में नीतीश कुमार 33.4 पर्सेंट लोगों की पसंद हैं. इस सर्वे के मुताबिक, युवाओं में 40.9 पर्सेंट लोग तेजस्वी से प्रभावित हैं और उन्हें सीएम देखना चाहते हैं. युवाओं में नीतीश के लिए ऐसी चाहत 30.3 पर्सेंट ही है.

CM के लिए तेजस्वी लोगों की पहली पसंद
पीपल्स पल्स के बिहार एग्जिट पोल में भी कुछ इसी तरह का रुझान देखने को मिला है. इसके मुताबिक, तेजस्वी यादव सीएम चॉइस के लिए बिहार के लोगों की पहली पसंद बनकर उभरे हैं. 32 फीसदी लोग चाहते हैं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तेजस्वी यादव को बैठना चाहिए. हालांकि 30 फीसदी लोग नीतीश को ही सीएम देखना चाहते हैं.

पहली बार वोट डालने वाले भी मुरीद
एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया है कि पहली बार वोट डालने वालों के 46 फीसदी वोट तेजस्वी यादव की अगुआई वाले महागठबंधन को मिल सकते हैं. 20 से 29 साल के युवाओं ने भी महागठबंधन पर भरोसा जताया है और इस वर्ग के 44 फीसदी वोट उसे मिल सकते हैं. वहीं इन वर्गों से एनडीए को 37-37 पर्सेंट वोट मिलने का अनुमान है.
अब सवाल ये है कि तेजस्वी में ऐसा क्या है, जो बिहार का युवा उनमें अपना नया नेता देख रहा है.
युवाओं में तेजस्वी लोकप्रिय क्यों?
रोजगार और नौकरी पर फोकस
तेजस्वी ने युवाओं की सबसे बड़ी जरूरत रोजगार और नौकरी पर फोकस किया है. उन्होंने बिहार के हर घर में एक सरकारी नौकरी देने का एक बेहद महत्वाकांक्षी वादा किया है. वह अपने पिछले कार्यकाल में 5 लाख नौकरियां देने का दावा भी करते रहे हैं. यह भारी बेरोजगारी से जूझ रहे बिहार जैसे प्रदेश में युवाओं को उम्मीद की एक किरण की तरह दिखता है.

युवा और तेजतर्रार नेतृत्व
तेजस्वी यादव युवा हैं और खुद को 'नए बिहार का चेहरा' बताते हैं. युवा होने के नाते वह युवाओं के मन की बात, उनके संघर्षों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझते हैं. वह लालू यादव के परिवार में एक पीढ़ीगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करते हैं. अपनी पार्टी की पारंपरिक छवि से हटकर विकास के मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं.
जातीय राजनीति में नई हवा का झोंका
बिहार की जातीय राजनीति से असंतुष्ट लोगों में तेजस्वी यादव नई हवा के झोंके की तरह दिखते हैं. तेजस्वी कहते हैं कि उनकी उम्र भले ही कच्ची हो, लेकिन जुबान पक्की है. मतदाताओं से अपील करते हुए उन्होंने कहा था कि 20 साल एनडीए को दिए हैं, हमें सिर्फ 20 महीने दीजिए, हम बिहार को बदलकर दिखा देंगे. हम ऐसा बिहार बनाएंगे, जहां पढ़ाई, दवाई और कमाई के लिए किसी को बाहर नहीं जाना पड़ेगा. उनके इन बयानों को लोग उनके जोश और जज्बे की तरह देखते हैं.

पारिवारिक राजनीति से अलग छवि
इसमें कोई शक नहीं कि युवा पारंपरिक राजनीति से कई मायनों में पक चुके हैं. नई उम्र का नेता होने के कारण तेजस्वी अपनी पारिवारिक राजनीति से अलग हटकर कुछ करने पर जोर देते दिखाई देते हैं. वह जाति से ऊपर उठकर विकास की बात करते हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देते हैं. ऐसे में पुराने नेताओं से असंतुष्ट लोगों को उनमें नया विकल्प दिखता है.
सियासी दांवपेंच में माहिर नेता
तेजस्वी की उम्र महज 36 साल है, लेकिन वह राजनीति के तमाम उतार-चढ़ाव देख चुके हैं. अब आरजेडी की कमान उनके हाथ में है. लालू यादव और राबड़ी एक तरह से पर्दे के पीछे जा चुके हैं. तेजस्वी की राजनीति का ही परिणाम है कि बिहार में महागठबंधन को उन्हें सीएम फेस घोषित करना पड़ा है. बिहार के नौजवान युवाओं में वह सबसे अहम बनकर उभरे हैं.
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