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2022-23 में J&K में UAPA के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां, सिर्फ 1% दोषी करार; यूपी में 123% की वृद्धि

पिछले पांच सालों में, केंद्र ने यूएपीए के तहत 23 संगठनों को गैरकानूनी संघ घोषित किया है, जिनमें से कई पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद से जुड़े हैं.

2022-23 में J&K में UAPA के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां, सिर्फ 1% दोषी करार; यूपी में 123% की वृद्धि
  • 2023 में जम्मू-कश्मीर में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत कुल गिरफ्तारियों का लगभग 42 प्रतिशत हुआ
  • जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार 1,206 व्यक्तियों में से केवल 10 को सजा दिलाई गई, जो सजा दर मात्र 0.8 प्रतिशत है
  • यूपी में 2023 में यूएपीए के तहत गिरफ्तारियों की संख्या दोगुनी से अधिक बढ़कर 1,122 हुई, जो दूसरे स्थान पर है
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नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद में जानकारी दी है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत सबसे ज्यादा गिरफ्तारियां जम्मू-कश्मीर (J&K) में हुई है. हालांकि इसमें सजा दिलवाने की दर एक प्रतिशत से भी कम है. पलक्कड़ से कांग्रेस सांसद शफी परमबिल के एक प्रश्न के उत्तर में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 2023 में पूरे भारत में UAPA के तहत कुल 2,914 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इनमें से 1,206 गिरफ्तारियां, यानी लगभग 42%, अकेले जम्मू-कश्मीर में हुईं.

गिरफ्तारियों की इतनी बड़ी संख्या के बावजूद, इस केंद्र शासित प्रदेश में केवल 10 लोगों को सजा दिलवाई जा सकी. ये दर 0.8% रह गई, जो देश में सबसे कम दरों में से एक है.

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नित्यानंद राय ने कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है, जबकि केंद्र राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के माध्यम से आंकड़े इकट्ठा करता है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एनसीआरबी गिरफ्तारियों और सजा दिलवाने का रिकॉर्ड तो रखता है, लेकिन वह यूएपीए के तहत वर्तमान में जेल में बंद व्यक्तियों की संख्या का राज्यवार डेटा नहीं रखता है.

उत्तर प्रदेश में यूएपीए के तहत गिरफ्तारियों में तेज़ वृद्धि

जम्मू-कश्मीर के बाद, उत्तर प्रदेश 2023 में 1,122 यूएपीए गिरफ्तारियों के साथ दूसरे स्थान पर रहा. राज्य में गिरफ्तारियों में तेज वृद्धि देखी गई, जो 2022 में 503 गिरफ्तारियों से दोगुनी से भी ज़्यादा बढ़कर 2023 में 1,122 हो गई. इसके विपरीत, जम्मू-कश्मीर में मामूली गिरावट देखी गई, जहां गिरफ्तारियां 2022 में 1,238 से घटकर 2023 में 1,206 हो गईं.

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2023 में यूएपीए के तहत 22 गिरफ्तारियां दर्ज की गईं, जो पिछले साल की तुलना में पांच कम हैं. कुल मिलाकर, देश में 2023 में यूएपीए मामलों में सजा दिलवाने की दर 4% रही.

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 28 राज्यों में यूएपीए के तहत 1,686 लोगों को और सात केंद्र शासित प्रदेशों में 1,228 लोगों को गिरफ्तार किया गया.

राज्यों में यूएपीए के तहत की गई गिरफ्तारियों में से 66% उत्तर प्रदेश में हुईं, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों में यूएपीए के तहत की गई गिरफ्तारियों में से 98% जम्मू और कश्मीर में हुईं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गिरफ्तारियों में इसकी निरंतर प्रमुखता को दिखाता है.

केंद्र ने जीरो टॉलरेंस की नीति दोहराई

एक अलग जवाब में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि सरकार भारत की "संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा" को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी गतिविधि के प्रति "जीरो टॉलरेंस की नीति" अपनाती है. उन्होंने कहा कि चरमपंथी, अलगाववादी और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए यूएपीए के तहत कड़ी कार्रवाई की जा रही है.

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पिछले पांच सालों में, केंद्र ने इस अधिनियम के तहत 23 संगठनों को गैरकानूनी संघ घोषित किया है, जिनमें से कई पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद से जुड़े हैं.

यूएपीए क्या है?

गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967, जिसे अक्सर भारत का आतंकवाद-रोधी कानून कहा जाता है, सरकार को देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक मानी जाने वाली गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है.

यह अधिनियम केंद्र को उन संगठनों को आतंकवादी समूह घोषित करने का अधिकार देता है, जो आतंकवाद में शामिल हों, उन्हें मदद करने में शामिल हों, आतंकवाद को बढ़ावा दें, या किसी अन्य प्रकार से आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हों.

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2019 के संशोधन ने कानून के दायरे का काफी विस्तार किया है, जिससे सरकार को औपचारिक न्यायिक प्रक्रिया के बिना भी व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने की अनुमति मिल गई है.

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