‘घोर अनुशासनहीनता’ : कांग्रेस का गहलोत के 3 करीबियों पर 'एक्शन', कारण बताओ नोटिस जारी

कांग्रेस पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप थी, जिसमें खिलाफ 'अनुशासनात्मक कार्रवाई' की सिफारिश की गई थी.

नई दिल्ली: कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंगलवार रात को राजस्थान के मंत्रियों शांति धारीवाल और महेश जोशी तथा पार्टी के नेता धर्मेंद्र राठौड़ को उनकी ‘घोर अनुशासनहीनता’ के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे 10 दिन के भीतर यह बताने के लिए कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए. ये नोटिस तब भेजे गए हैं जब इससे पहले पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन ने तीनों पर ‘घोर अनुशासनहीनता’ का आरोप लगाते हुए पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को अपनी लिखित रिपोर्ट सौंपी थी.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. अनुशासनात्मक समिति के सचिव तारिक अनवर द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है, ‘यह कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए आपसे 10 दिन में यह बताने को कहा जाता है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संविधान के प्रावधानों के अनुसार आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए.'

  2. धारीवाल, विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जोशी और राठौड़ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा विधायकों की अलग से एक बैठक बुलाने तथा कांग्रेस विधायक दल की बैठक न होने देने के लिए की गयी है.

  3. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर नहीं हैं. हालांकि, गांधी परिवार राजस्थान के उनके समर्थक 90 से अधिक विधायकों के विद्रोह से परेशान हैं. सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है. कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि 'अशोक गहलोत अभी भी कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं, इससे इंकार नहीं किया गया है.' कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, अंबिका सोनी और आनंद शर्मा ने संकट के समाधान के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बातचीत की है. बताया जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस में पैदा हुए संकट के समाधान की कोशिश की जा रही है.

  4. कांग्रेस अध्यक्ष के पद संभालने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए अशोक गहलोत राजी हो गए थे. उन्होंने यह फैसला राहुल गांधी के उस बयान के बाद लिया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया था कि 'एक व्यक्ति, एक पद' की नीति का पालन किया जाएगा. किसी को भी पद पर नहीं रहने दिए जाएगा. 

  5. राजस्थान में बदलाव का औपचारिक ऐलान रविवार को गहलोत के आवास पर विधायकों की बैठक में किया जाना था. केंद्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में बैठक में शामिल अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुसार समय और स्थान मुख्यमंत्री द्वारा तय किया गया था.

  6. हालांकि, गहलोत के घर पर केवल 20-25 विधायक ही दिखाई दिए. अधिकांश कांग्रेस विधायक गहलोत के करीबी मंत्री शांति धारीवाल के घर पर एक अलग बैठक में शामिल हुए. बाद में वे स्पीकर के घर एक विशेष बस से पहुंचे और सामूहिक इस्तीफा देने की धमकी दी. उन्होंने यह धमकी अशोक गहलोत की जगह सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने के प्रस्ताव को लेकर दी. 

  7. विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की खुलेआम अवहेलना करते हुए दो केंद्रीय नेताओं के साथ व्यक्तिगत रूप से मिलने से इनकार कर दिया. साथ ही शर्त रखी कि कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के बाद ही एक नया मुख्यमंत्री चुना जाना चाहिए. 

  8. इस दौरान राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उस सुबह भारत-पाकिस्तान सीमा के पास एक दरगाह की यात्रा का हवाला देते हुए कहा था कि इनका इसमें कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व से कहा, 'मेरे हाथ में कुछ नहीं है. विधायक नाराज हैं.'

  9. दिल्ली में किसी को भी विश्वास नहीं हुआ कि गहलोत के सक्रिय समर्थन और बिना जानकारी के 92 विधायक सामूहिक इस्तीफे की धमकी दे सकते हैं. हालांकि, गहलोत ने माफी मांग ली है. लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने अपने सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक द्वार अनुशासनहीनता को गंभीरता से लिया गया है. 

  10. जयपुर में विधायक दल की बैठक नहीं हो पाने और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक विधायकों के वस्तुत: बागी रुख अपनाने के बाद खड़गे और माकन सोमवार को दिल्ली लौटे तथा कांग्रेस अध्यक्ष के आवास 10 जनपथ पहुंचकर सोनिया गांधी से मुलाकात की थी.