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आसमां में चला अपना बाहुबली और गर्व से भर गया हर भारतीय का सीना... 

आनंद महिंद्रा ने एक्‍स पर लिखा, 'हमारा सबसे भारी सैटेलाइट. सपनों से भरा हुआ. हिम्मत से भरा हुआ.' इसके साथ ही उन्‍होंने लॉन्चिंग का एक वीडियो भी शेयर किया है.

आसमां में चला अपना बाहुबली और गर्व से भर गया हर भारतीय का सीना... 
  • इसरो ने रविवार को सबसे भारी 4,410 किलोग्राम वजन वाले संचार सैटेलाइट सीएमएस-03 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया.
  • सीएमएस-03 बहु-बैंड संचार उपग्रह है जो भारत और व्यापक समुद्री क्षेत्र में संचार सेवाएं प्रदान करेगा.
  • सैटेलाइट को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में सटीकता से स्थापित किया गया है, जो जीसैट 7 सीरीज का रिप्लेसमेंट है.
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नई दिल्‍ली:

रविवार को भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने एक नया इतिहास रचा जब उसने सबसे भारी कम्‍युनिकेशन सैटेलाइट को नई पीढ़ी के स्वदेशी 'बाहुबली' रॉकेट के जरिए लॉन्‍च किया. यह वह मौका था जिसने हर भारतीय को एक और मौका दिया जो गर्व से भरा था. इस सफलता पर हर आम इंसान को तो खुशी महसूस हो ही रही है. साथ ही साथ अब देश के जाने-माने बिजनेसमैन और महिंद्रा इंडस्‍ट्री के मालिक आनंद महिंद्रा भी काफी गौरान्वित महसूस कर रहे हैं. 

हमारा सबसे भारी सैटेलाइट 

आनंद महिंद्रा ने एक्‍स पर लिखा, 'हमारा सबसे भारी सैटेलाइट. सपनों से भरा हुआ. हिम्मत से भरा हुआ.' इसके साथ ही उन्‍होंने लॉन्चिंग का एक वीडियो भी शेयर किया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि 4,410 किलोग्राम वजन वाले इस सैटेलाइट सीएमएस-03 को एलवीएम 3-एम5 रॉकेट की मदद से लॉन्‍च किया है. इसरों के अनुसार सीएमएस-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है और यह भारतीय जमीन के साथ ही एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा. इसने कहा कि सैटेलाइट को मनचाहे भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया. 

क्‍या कहा इसरो चीफ ने 

यह साल 2013 में लॉन्‍च की गई जीसैट 7 सीरीज का रिप्‍लेसमेंट भी है. इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि प्रक्षेपण यान ने संचार उपग्रह को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया. उन्होंने कहा, '4,410 किलोग्राम का सैटेलाइट सटीकता के साथ स्थापित कर दिया गया है.' लॉन्चिंग के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र से अपने संबोधन में उन्होंने एलवीएम 3 उपग्रह को ‘बाहुबली' रॉकेट बताया, जो स्पष्ट रूप से इसकी भारी भार उठाने की क्षमता का संदर्भ था. 

नारायणन ने याद दिलाया कि रॉकेट का पिछला लॉन्‍च  'सबसे प्रतिष्ठित चंद्रयान 3 था, जिसने राष्ट्र को गौरव दिलाया.'  उन्होंने कहा कि रविवार को ‘‘भारी उपग्रह'' के साथ सफलता प्राप्त करने के बाद इसने ‘‘एक और गौरव'' प्राप्त किया. प्रायोगिक मिशन सहित एलवीएम 3 के सभी आठ प्रक्षेपण सफल रहे हैं, जो 100 प्रतिशत सफलता दर दर्शाते हैं. 

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