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'मंदिर-मस्जिद विवादों की सुनवाई पर लगी अंतरिम रोक हटाई जाए', मांग को लेकर SC पहुंचा हिंदू पक्ष

हिंदू पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करते हुए ⁠देश भर की अदालतों में चल रहे मंदिर- मस्जिद विवादों की सुनवाई पर लगी अंतरिम रोक को हटाने की मांग की है.

'मंदिर-मस्जिद विवादों की सुनवाई पर लगी अंतरिम रोक हटाई जाए', मांग को लेकर SC पहुंचा हिंदू पक्ष
  • हिंदू पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में मंदिर-मस्जिद विवादों की सुनवाई पर लगी अंतरिम रोक हटाने की मांग की है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में देश भर की अदालतों में मंदिर-मस्जिद विवादों की सुनवाई पर अंतरिम रोक लगाई थी.
  • सर्वोच्च न्यायालय ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई के दौरान नए मुकदमे दाखिल करने पर रोक लगाई थी.
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हिंदू पक्ष ने मंदिर-मस्जिद विवादों की सुनवाई पर लगी अंतरिम रोक को हटाने की मांग की है. हिंदू पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल करते हुए ⁠देश भर की अदालतों में चल रहे मंदिर- मस्जिद विवादों की सुनवाई पर लगी अंतरिम रोक को हटाने की मांग की है. दरअसल पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के अलग-अलग अदालते में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवादों की सुनवाई पर अंतरिम रोक लगा दी थी. सर्वोच्च न्यायालय ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई करते हुए मंदिर-मस्जिद से जुड़े नए मुकदमे दाखिल करने पर रोक लगा दी थी. साथ ही सर्वे पर भी स्टे लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से चार सप्ताह में जवाब मांगा था.

अब हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने अर्जी दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से 12 दिसंबर 2024 के अंतरिम रोक के आदेश को वापस लेने की मांग की है. एक अन्य अर्जी दाखिल कर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के प्रावधान पर रोक की मांग की है.

सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर को अंतरिम आदेश दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक कोई नया मुकदमा दाखिल तो हो सकता है, लेकिन अदालत में ना तो ये पंजीकृत होगा और ना ही कोई कार्रवाई होगी. कोई भी अदालत सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई/आगे के आदेशों तक सर्वे आदि के निर्देश सहित कोई भी प्रभावी आदेश या अंतिम आदेश पारित नहीं करेगी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी. इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले में केंद्र का जवाब नहीं आता, तब तक मामले की पूरी सुनवाई संभव नहीं है. साथ ही, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सुनवाई के दौरान किसी नए मुकदमे को दर्ज नहीं किया जा सकता.

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