दिल्ली के लाल किला में हुआ बम धमाका आतंकियों की हताशा या घबराहट थी या फिर ये विस्फोटक को कहीं और ले जाते वक्त कार के साथ हुआ एक हादसा था. जांच एजेंसियां ऐसे ही सवालों का जवाब तलाशने में जुट गई हैं. फरीदाबाद में आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ के 6-7 घंटों बाद दिल्ली में हुए ब्लास्ट के तार और गुनहगारों की कड़ियां तो जुड़ती नजर आ रही हैं, लेकिन क्या संदिग्ध हमलावर डॉक्टर उमर मोहम्मद का इरादा लाल किला के मेट्रो स्टेशन पर ही विस्फोट करने का था या फिर वो किसी बड़े प्लान के तहत विस्फोटकों की पहली खेप लेकर वहां किसी सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचने की जद्दोजहद में था.
डॉ. आदिल और डॉ. मुजम्मिल का प्लान
ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि साथी डॉक्टर आदिल मोहम्मद, डॉ. मुजम्मिल और डॉक्टर शाहीना की गिरफ्तारी के बाद से डॉ. उमर ने घबराहट में इस आतंकी हमले को अंजाम दिया. हालांकि ये आत्मघाती हमला था या नहीं, इस पर भी सुरक्षा एजेंसियां कुछ कहने से बच रही हैं. फरीदाबाद में करीब तीन हजार किलो विस्फोटक (संभावित अमोनियम नाइट्रेट), दो असॉल्ट रायफलें, टाइमर, वॉकी-टॉकी जैसे उपकरण भी मिले थे, जो संकेत देता है कि आतंकी किसी बड़ी वारदात की तैयारी में थे. ऐसे में यह संभव है कि सहारनपुर, अनंतनाग, पुलवामा से लेकर फरीदाबाद तक ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों से फरार आतंकी खौफ में आ गए.
26 जनवरी और दिवाली पर धमाके का था प्लान... दिल्ली ब्लास्ट में मुजम्मिल से पूछताछ में बड़ा खुलासा
बड़ा सवाल, क्या ये हादसा था
संदिग्ध हमलावर डॉ. उमर दोपहर 3 बजे के करीब कार लेकर लाल किला मेट्रो पार्किंग में घुसा था और तीन घंटे बाद 6.28 बजे बाहर निकला. वो तीन घंटे तक कार के अंदर क्यों बैठा रहा, क्या वो भीड़भाड़ होने का इंतजार कर रहा था या फिर रात के वक्त किसी महफूज ठिकाने में जाना उसका मकसद था, लेकिन कार में जो विस्फोटक पदार्थ रखा था, शायद वो दुर्घटनावश फट गया और धमाका हो गया. विस्फोट होने के बाद वहां कोई बड़ा गड्ढा न होना भी इस ओर इशारा करता है.
हताशा थी तो फाइनल प्लान क्या था?
दिल्ली ब्लास्ट मामले में डॉक्टर मुजम्मिल से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है. डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर उमर ने लालकिले की रेकी की थी. जनवरी के पहले हफ्ते में लालकिले की रेकी की गई थी. डॉक्टर मुजम्मिल के फोन के डंप डेटा से भी अहम जानकारी मिली हैं. पूछताछ में ये भी जांच एजेंसी को पता चला है कि 26 जनवरी पर लालकिले को टारगेट करना था, इनकी प्लानिंग का ये हिस्सा था. दीवाली पर भी भीड़भाड़ वाली जगह पर धमाका करने की भी योजना थी.
कठघरे में कार, 7 बार बदले मालिक
दिल्ली लाल किला ब्लास्ट में इस्तेमाल कार ब्लास्ट के बाद पुर्जे-पुर्जे अलग हो गई थी. यह कार एक हाथ से दूसरे हाथ में जाती रही. इसके 7 बार मालिक बदले. तीन महीने के अंदर इसके 3 मालिक बदल गए. गुरुग्राम नंबर की i20 कार HR 26 CE 7674 को 7 बार बेचा गया. सात महीने के अंदर इस कार के तीन मालिक बदल गए थे. 2014 मॉडल की पेट्रोल कार के पहले मालिक शांति नगर के मोहम्मद सलमान थे. सलमान ने 2014 में ही इसे पुरानी कारें खरीदने-बेचने वाली कंपनी को बेच दिया था. स्पिनी नाम की इस कंपनी से यह कार पुरानी कारें खरीदने बेचने वाले फरीदाबाद के देंवेद्र ने खरीदी. देंवेंद्र ने कुछ महीने बाद यह कार सचिन को बेच दी थी. सचिन उर्फ सोनू से यह कार इस साल पुलवामा के डॉ. उमर ने खरीदी.
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