- पटना पुलिस ने मोकामा से जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार और पूर्व विधायक अनंत सिंह को देर रात गिरफ्तार किया है
- अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी नीलम देवी और बेटे ने चुनावी कमान संभाल ली है
- अनंत सिंह की गिरफ्तारी से मोकामा और बिहार में जातीय गोलबंदी की संभावना बढ़ गई है और चुनावी समीकरण बदल सकते हैं
पटना पुलिस ने देर रात मोकामा से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के उम्मीदवार बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया. इससे मोकामा में अब अनंत समर्थकों में भी गुस्सा है और वे गोलबंद हो रहे हैं. उनका सबसे ज्यादा ध्यान चुनाव पर है. अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर उनकी आईडी से भावुक अपील की गई है. ये पोस्ट अब तेजी से वायरल हो रहा है. बिहार चुनाव में दुलारचंद मर्डर पहले ही चर्चा का विषय बन गया था और अब अनंत सिंह की गिरफ्तारी से दोनों पक्ष तेजी से लामबंद हो रहे हैं.
जनता लड़ेगी चुनाव
बाहुबली नेता और मोकामा से जेडीयू के उम्मीदवार अनंत सिंह की फेसबुक पोस्ट से लिखा गया है “‘सत्यमेव जयते !! मुझे मोकामा के जनता पर पूर्ण भरोसा है, इसलिए चुनाव अब मोकामा की जनता लड़ेगी.” इस पोस्ट से माना जा रहा है कि अनंत सिंह भूमिहारों और अपने समर्थकों को गोलबंदी कर रहे हैं.
देखें फेसबुक पोस्ट
पत्नी और बेटे ने संभाली कमान
अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी वर्तमान विधायक नीलम देवी और उनके बेटे चुनावी कमान संभाल ली है. मोकामा में फर्स्ट फेज में ही चुनाव है. 6 नवंबर को यहां मतदान होने वाला है. ऐसे में परिवार का पूरा सपोर्ट अनंत सिंह को मिल रहा है.
पीएम का आना और अनंत का जाना
बीजेपी बिहार विधानसभा चुनाव में जंगलराज के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है. कहीं ना कहीं मोकामा और राज्य के अन्य हिस्सों में हुई हिंसा की घटनाओं ने उस नरेटिव को कमजोर करने का कम किया था. पीएम मोदी आज बिहार आ रहे हैं और पटना में एक रोडशो करने वाले हैं. पीएम के रोड-शो पर निशाना साधते हुए तेजस्वी यादव ने यहां तक कह दिया था कि उनके (पीएम मोदी) रोड-शो से पहले अनंत सिंह का रोड-शो सबने देखा है. सत्ता पक्ष पर दबाव था कि पीएम के दौरे से पहले अनंत सिंह जेल में हों.
किसको फायदा और किसको घाटा
अनंत सिंह की देर रात गिरफ्तारी से किसको फायदा होगा और किसको नुकसान ये आने वाले चुनावी नतीजे ही तय करेंगे. मगर इस घटना के बात जातीय लामबंदी होना तय है. अनंत की गिरफ्तारी से एक तरफ मोकामा और पूरे बिहार में भूमिहारों और अपर कास्ट की सहानभूति NDA को मिल सकती है. मगर दूसरी तरफ महागठबंधन की ओर से इस हत्याकांड को अगड़ा बनाम पिछड़ा बनाने की कोशिश की जाएगी. अगर विपक्ष अपनी रणनीति में कामयाब होता है तो एनडीए को उन सीटों पर नुकसान भी हो सकता. हालांकि, यादव बाहुल्य इलाकों में उतरे राजद के भूमिहार प्रत्याशी असमंजस की स्थिति में हैं.
जेल रहते हुए भी जीते हैं चुनाव
अनंत सिंह पहले भी जेल में रहते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर चुनाव जीत चुके हैं. अनंत सिंह के जेल जाने के बाद साल 2022 के उपचुनाव में अनंत सिंह ने अपनी पत्नी नीलम देवी को खड़ा किया था. उन्होंने भी इस सीट पर जीत हासिल की. 2015 में भी अनंत सिंह ने जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा था और आसानी से चुनाव जीत गए. हालांकि, इस बार मामला काफी टाइट है और कहा जा रहा है कि उनकी गिरफ्तारी से चुनावी समीकरण एकदम से बदल सकते हैं.
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