मुंबई के अॅग्रिपाडा इलाके में रहने वाले 60 साल के कारोबारी के साथ एक चौंकाने वाली ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है. ठगों ने खुद को सरकारी अफसर बताकर उन्हें 'डिजिटल अरेस्ट' में ले लिया और देखते ही देखते उनके 53 लाख रुपये हड़प लिए.
पुलिस सूत्रो के मुताबिक, कारोबारी दुबई में लॉजिस्टिक्स और क्लियरिंग का बिजनेस चलाते हैं और भारत-यूएई के बीच अक्सर आते-जाते रहते हैं. 3 नवंबर को उन्हें एक अनजान व्हाट्सऐप कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को TRAI का अधिकारी राजीव सिन्हा बताया और कहा कि तुराबी के आधार कार्ड से एक सिम कार्ड निकाला गया है, जिसका इस्तेमाल फ्रॉड मैसेज भेजने में हुआ है. साथ ही कहा गया कि उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस में केस दर्ज है और उन्हें दो घंटे के अंदर पेश होना होगा.
इसके कुछ देर बाद कारोबारी को एक वीडियो कॉल आया. इस बार कॉल करने वाला खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी विजय खन्ना बता रहा था. उसने तुराबी पर मनी लॉन्ड्रिंग केस से जुड़े होने का आरोप लगाया और कहा कि उनके नाम से दिल्ली में एक बैंक अकाउंट खोला गया है.
इतना ही नहीं, ठगों ने इसके बाद एक और “वरिष्ठ अधिकारी” की एंट्री करवाई — जिसने खुद को सीबीआई का एसएसपी समधान पवार और “प्रॉसिक्यूटर” बताया. इस व्यक्ति ने तुराबी को व्हाट्सऐप पर कुछ सरकारी मुहरों वाले नकली दस्तावेज भेजे, जिन पर भारत सरकार, एंटी-करप्शन ब्रांच और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के लोगो लगे थे.
डर और भ्रम की हालत में कारोबारी ने अपनी बैंक डिटेल्स और बिजनेस से जुड़ी जानकारियां इन लोगों को दे दीं. फिर उन्हें कहा गया कि अब वो “डिजिटल अरेस्ट” में हैं — मतलब, वो अपने घर में बंद रहेंगे और वीडियो कॉल चालू रखेंगे जब तक कि अगली सुबह “जमानत सुनवाई” न हो जाए.
अगले दिन ठगों ने वीडियो कॉल पर फर्जी ऑनलाइन कोर्ट का पूरा नाटक रचा. एक व्यक्ति “जज” बनकर आया, जिसने तुराबी की जमानत “रद्द” करने का ड्रामा किया और कहा कि उनके सारे अकाउंट सीज़ कर दिए जाएंगे. इसके बाद उन्हें कहा गया कि अपनी रकम “सरकारी सुरक्षित खातों” में ट्रांसफर करें ताकि जांच पूरी होने तक पैसा सुरक्षित रहे.
डरे-सहमे कारोबारी ने ठगों के कहने पर ₹50 लाख “अहलया एंटरप्राइजेज” और ₹3 लाख “अमनदीप सिंह” नाम के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए.
लेकिन जब ठगों ने और पैसे की मांग शुरू की, तो कारोबारी को शक हुआ. उन्होंने इंटरनेट पर “SSP Samadhan Pawar” सर्च किया — जहां उन्हें इसी नाम से जुड़े कई डिजिटल अरेस्ट स्कैम के मामले मिले. तब जाकर उन्हें अहसास हुआ कि वो ठगी का शिकार हो चुके हैं. उन्होंने तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और राष्ट्रीय साइबरक्राइम हेल्पलाइन (1930) पर शिकायत दर्ज करवाई.
अब सेंट्रल रीजन साइबर पुलिस स्टेशन ने राजीव सिन्हा, विजय खन्ना और समधान पवार नाम से ठगी करने वाले तीन अज्ञात आरोपियों के खिलाफ BNS और IT एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया है. पुलिस उन बैंक खाताधारकों की भी जांच कर रही है, जिनके खातों में यह रकम भेजी गई थी
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