शशि थरूर ने पेगासस केस को राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर विषय बताया
नई दिल्ली: Pegasus Spyware Case News : संसद की स्थायी समिति (Standing Committee) नागरिकों के डेटा की सुरक्षा और निजता के मामले पर चर्चा करेगी.पेगासस स्पाईवेयर के जरिये सैकड़ों भारतीयों की जासूसी कराने के आरोपों का मामला गरमा गया है. आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति भी 28 जुलाई की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करेगी. इस समिति की अगुवाई कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Congress MP Shashi Tharoor) कर रहे हैं. एक बयान में कहा गया है कि संसदीय समिति नागरिकों के डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी के मामले पर चर्चा करेगी.
मोबाइल फोन में इस टूल की मदद से पकड़ा जाता है जासूसी करने वाला Pegasus सॉफ्टवेयर
इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी, गृह मंत्रालय और संचार मंत्रालय के अधिकारियों को भी बैठक में बुलाया जाएगा. इस मुद्दे पर उनसे जवाब लिया जाएगा. वर्ष 2019 में व्हाट्सऐप में ऐसे ही पेगासस स्पाईवेयर की सेंध का मसला भी इस समिति के समक्ष लाया गया था. गौरतलब है कि संसद में पहले दो दिनों की कार्यवाही पेगासस जासूसी स्कैंडल को लेकर लगातार बाधित रही है. इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का कहना है कि वो सिर्फ सरकारों को ही ऐसे सॉफ्टवेयर बेचती है. आरोप है कि ऐसे स्पाईवेयर के जरिये पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, नेताओं और नौकरशाहों को निशाना बनाया गया.
दुनिया भर में 40 से ज्यादा देशों में करीब 50 हजार लोग ऐसे संभावित फोन हैकिंग के निशाने पर थे. द वायर, वाशिंगटन पोस्ट और अन्य मीडिया संगठनों ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस नेता राहुल गांधी, आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (तब मंत्री नहीं थे) समेत कई राजनीतिक हस्तियां, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी समेत लोग संभावित तौर पर हैकिंग के टारगेट पर थे.
हालांकि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि डाटाबेस पर जो भी नंबर लीक हुए हैं, उन्हें हैक किया गया था. सरकार ने इस हैकिंग प्रकरण में किसी भी प्रकार की भूमिका होने से इनकार किया है. आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव सोमवार को संसद में कहा कि जासूसी के इन आरोपों में कोई भी तथ्य नहीं है. उन्होंने इसकी टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठाए.
सवाल इंडिया का : पत्रकारों की जासूसी पर बवाल