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This Article is From Aug 31, 2019

मूल याचिककर्ता ने कहा, NRC ‘दोषपूर्ण दस्तावेज’ साबित होगा, सॉफ्टवेयर पर भी सवाल उठाए 

उच्चतम न्यायालय में मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने कहा कि एनआरसी ‘दोषपूर्ण दस्तावेज’ साबित होगा.

मूल याचिककर्ता ने कहा, NRC ‘दोषपूर्ण दस्तावेज’ साबित होगा, सॉफ्टवेयर पर भी सवाल उठाए 
प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय में मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने कहा कि एनआरसी ‘दोषपूर्ण दस्तावेज' साबित होगा क्योंकि इसे पुन:सत्यापित करने की उसकी मांग शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी. एपीडब्ल्यू की याचिका पर ही छह साल पहले राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को अद्यतन करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एपीडब्ल्यू के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने एनआरसी अद्यतन करने की प्रक्रिया में इस्तेमाल सॉफ्टवेयर की दस्तावेजों के प्रबंधन की क्षमता पर भी सवाल उठाए और पूछा कि क्या इसका तीसरे पक्ष के प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ से निरीक्षण कराया गया था?  

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शर्मा ने शनिवार को अंतिम एनआरसी जारी होने के बाद पत्रकारों से कहा,‘अंतिम एनआरसी से तय हो गया है कि असम में अवैध प्रवासियों के मुद्दे का कभी हल नहीं होगा. इसे दोषपूर्ण तरीके से पूरा किया गया जबकि यह असम के इतिहास का सुनहरा अध्याय होता.' अंतिम एनआरसी से 19 लाख आवेदक बाहर हैं. उन्होंने कहा, एपीडब्ल्यू ने प्राथमिक याचिककर्ता के तौर पर एनआरसी मसौदे के सत्यापन के लिए उच्चतम न्यायालय में पांच ज्ञापन दिए जो खारिज हो गए. एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला की ओर से 27 प्रतिशत नामों का पुन:सत्यापन रहस्य है. कोई नहीं जानता कि क्या यह शत प्रतिशत दोषरहित है या नहीं. 

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शर्मा ने प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल सॉफ्टवेयर पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘क्या यह खामी वाले सॉफ्टवेयर की वजह से है क्योंकि मोरीगांव जिले में 39 संदिग्ध परिवारों के नाम भी एनआरसी में शामिल हो गए जिनका जिक्र जिला आयुक्त ने किया है?' गौरतलब है कि 2009 में एपीडब्ल्यू ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर 41 लाख विदेशियों के नाम मतदाता सूची से हटाने और एनआरसी को अद्यतन करने की मांग की थी.  

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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