चिराग के साथ ऐसा क्यों हुआ? जानिए अंदर की कहानी

Chirag vs Paras in LJP: चिराग पासवान (Chirag Paswan) के साथ वह हो गया जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे.

चिराग के साथ ऐसा क्यों हुआ? जानिए अंदर की कहानी

ने वाले समय में Chirag Paswan पूरी तरह से अपनी पार्टी में हाशिए पर धकेल दिए जाएंगे: सूत्र

नई दिल्ली:

Chirag vs Paras in LJP: चिराग पासवान (Chirag Paswan) के साथ वह हो गया जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे. कल तक वे लोक सभा में अपनी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता थे, आज उनकी जगह उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (Pasupati Kumar Paras) ने ले ली. देखते ही देखते वे अपनी पार्टी में बेगाने हो गए. लेकिन सूत्रों के मानें तो यह तो शुरुआत है. आने वाले समय में चिराग पासवान (Chirag Paswan) पूरी तरह से अपनी पार्टी में हाशिए पर धकेल दिए जाएंगे. ऐसा बीजेपी और जेडीयू दोनों की आपसी समझ से हुआ है और इसमें उनकी पार्टी के बाकी सभी नेताओं की भी सहमति है. 

Read Also: लोकसभा में LJP के नेता बने पशुपति कुमार पारस, स्पीकर ने दी मान्यता

दरअसल, चिराग पासवान एनडीए की एकता में बड़ा रोड़ा बन चुके थे, बिहार में एनडीए की एकता चिराग पासवान के एलजेपी का नेता रहते संभव नहीं थी क्योंकि नीतीश कुमार को उनके नाम पर सख्त एतराज था. यहीं नहीं, नीतीश यह कतई नहीं चाहते थे कि केंद्र में एनडीए की किसी भी बैठक में चिराग पासवान को बुलाया जाए या फिर बीजेपी उनके साथ कोई रिश्ता रखे। इस साल जनवरी में बजट सत्र शुरु होने से पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने एनडीए की बैठक के लिए चिराग पासवान को निमंत्रण भेज दिया था.  जेडीयू ने इस पर सख्त एतराज किया था जिसके बाद बीजेपी को उन्हें फोन कर कहना पड़ा कि वे बैठक में न आएं, जेडीयू इसी के बाद एनडीए की बैठक में आई. 

 अब जबकि मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार की अटकलें लग रही हैं, लोजपा की ओर से चिराग पासवान मंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार माने जा रहे थे क्योंकि उनके पिता रामविलास पासवान का कैबिनेट मंत्री रहते हुए निधन हुआ था. इस लिहाज से लोजपा की एक सीट मंत्रिपरिषद में बनती है. जबकि इस बार जेडीयू को भी मंत्री पद की आस है. और नीतीश कुमार कतई नहीं चाहते थे कि लोजपा कोटे से चिराग पासवान मंत्री बनें, जबकि लोकसभा में लोजपा के नेता होने के नाते स्वाभाविक रूप से चिराग पासवान की दावेदारी बनती थी. 

सूत्रों के अनुसार इसके लिए जेडीयू के वरिष्ठ नेता लल्लन सिंह और बीजेपी के राज्य सभा के एक सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी ने लोजपा के सांसदों से संपर्क साधा। उन्हें बताया गया कि बिहार और केंद्र में एनडीए का हिस्सा वे तभी बन पाएंगे जब चिराग के हाथों में कमान न हो, लंबी बातचीत के बाद आखिरकार वे तैयार हुए. सूत्रों के मुताबिक कल स्पीकर से पांचों सांसदों को मिलवाने का जिम्मा भी एक बीजेपी सांसद को दिया गया जो बिहार से ताल्लुक रखते हैं. सोमवार को स्पीकर ने चिराग पासवान की जगह पशुपति कुमार पारस को लोजपा का नेता मान्य कर दिया। दिलचस्प बात है कि पशुपति कुमार पारस और चिराग के बीच मतभेद भी नीतीश कुमार को लेकर ही हुए थे.  जहां पशुपति बीजेपी-जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करने के पक्ष में नहीं थे वहीं चिराग इसके लिए अड़े हुए थे. बीच-बीच में पशुपति नीतीश कुमार की जमकर तारीफ भी करते रहे. 

Read Also:  'आज से तुम्हारे लिए मर गए चाचा...' ऐसे शुरू हुआ था चिराग और पशुपति पारस के बीच टकराव

 बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार पर चिराग पासवान के व्यक्तिगत हमलों और उन्हे जेल भेजने की बात ने नीतीश कुमार को बुरी तरह से चिढ़ा दिया, जेडीयू  नेताओं के मुताबिक चिराग पासवान के कारण उनकी पार्टी को 32 सीटों का नुकसान हुआ नहीं तो जेडीयू को आरजेडी के बराबर और बीजेपी से ज्यादा सीटें आई होतीं. चिराग पासवान का बार-बार यह कहना कि वे बीजेपी का मुख्यमंत्री चाहते हैं इस संदेह को गहरा कर गया कि चिराग बीजेपी के कहने पर यह सब कर रहे हैं. इसीलिए नीतीश कुमार  चिराग को लेकर बीजेपी के प्रति आशंकित रहते थे. 

इस तरह चिराग अब तस्वीर से बाहर हो गए, जल्दी ही लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें विधिवत रूप से पशुपति कुमार पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया जाएगा. जब भी मोदी मंत्रिपरिषद का विस्तार होगा, पशुपति कुमार पारस मंत्री बनाए जा सकते हैं. दूसरी ओर, बिहार में भी नीतीश सरकार में लोजपा को जगह दी जा सकती है. अभी इस पार्टी का कोई विधायक नहीं है, लेकिन विधान परिषद के रास्ते किसी नेता को लाकर मंत्री बनाने की संभावना है. 

Read Also:  'जो बोइएगा वही पाइएगा...' , लोक जनशक्ति पार्टी की टूट पर JDU की तीखी प्रतिक्रिया

इस तरह बीजेपी और जेडीयू के बीच मनमुटाव का एक बड़ा कारण दूर हुआ. चिराग से बीजेपी के रिश्तों को लेकर नीतीश कुमार के मन में शंका थी. विधानसभा चुनाव में चिराग का नीतीश पर हमला करना और बीजेपी के शीर्ष नेताओं का उस पर चुप रहना इसका एक बड़ा कारण था, लेकिन चिराग को फिलहाल किनारे कर दिया गया है. इसका एक बड़ा कारण उनका पार्टी पर पकड़ न होना तथा दिल्ली में बैठ कर राजनीति करना भी बताया गया है. लेकिन बिहार के जानकार मानते हैं कि चिराग को पूरी तरह दरकिनार करना शायद मुश्किल हो क्योंकि लोजपा समर्थक जानते हैं कि रामविलास पासवान ने अपने जीते-जी चिराग को विरासत सौंपी थी और समर्थक उन्हें ही पासवान का उत्तराधिकारी मानते हैं. ऐसे में शायद चिराग चुप रह कर अपनी बारी का इंतजार करेंगे या फिर अलग रास्ता लेकर अपनी खोई ताकत दोबारा पाएंगे, यह देखने की बात होगी. 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

Video: लोजपा में बगावत, अकेले पड़ गए चिराग; भतीजे पर भारी पड़े चाचा