"चोर नहीं था" ब्लॉगर : बाबा का ढाबा के मालिक ने नए वायरल VIDEO में हाथ जोड़कर मांगी माफी 

अब एक अन्य फूड ब्लॉगर ने शनिवार को 80 वर्षीय ढाबा मालिक कांता प्रसाद का वीडियो शेयर किया, जिसमें वह अपनी बात वापस लेते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो में वो हाथ जोड़कर खड़े नजर आ रहे हैं.

हमने कभी गौरव वासन को चोर नहीं कहा: बाबा का ढाबा के मालिक कांता प्रसाद

नई दिल्ली:

लॉकडाउन के दौरान चर्चा में आए 'बाबा का ढाबा' और उसके मालिक कांता प्रसाद ने फूड ब्लॉगर गौरव वासन के साथ अपने विवाद पर माफी मांगी है. कुछ महीने पहले दक्षिण दिल्ली के मालवीय नगर के 'बाबा का ढाबा' की कहानी देशभर में चर्चित रही. जिसमें सड़क किनारे छोटा सा ढाबा चलाने वाले कांता प्रसाद रातों रात मशहूर हुए क्योंकि एक फूड ब्लॉगर ने उनका एक वीडियो बनाया, जिसमें 80 साल के बाबा का ढाबा के मालिक कांता प्रसाद रो रहे थे और कह रहे थे कि लोग उनके यहां खाने नहीं आ रहे हैं और उनकी दुकान नहीं चल रही है.

वीडियो वायरल होते ही उनके संघर्ष ने लोगों के दिल को छू लिया. भोजनालय पर ग्राहकों की भीड़ लग गई और लोगों ने दिल खोलकर डोनेशन दिया. यह सब हुआ फूड ब्लॉगर गौरव वासन द्वारा शेयर किए गए वीडियो के बाद. हालांकि, कुछ ही समय बाद ढाबे के मालिक कांता प्रसाद ने ब्लॉगर के खिलाफ चंदे में हेराफेरी का मामला दर्ज कराया. ब्लॉगर ने आरोपों से इनकार करते हुए अपने बैंक स्टेटमेंट भी दिखाए. 

अब एक अन्य फूड ब्लॉगर ने शनिवार को 80 वर्षीय ढाबा मालिक कांता प्रसाद का वीडियो शेयर किया, जिसमें वह अपनी बात वापस लेते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो में वो हाथ जोड़कर खड़े नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा, "गौरव वासन, वो लड़का कभी चोर नहीं था. हमने कभी उसे चोर नहीं कहा."

उन्होंने कहा, "बस हमारे से एक चूक हुई. जनता-जनार्धन से कहते हैं कि अगर कोई गलती हो गई हो हमसे तो हमें माफ करना... इसके आगे हम कुछ नहीं कह सकते." ब्लॉगर करण दुआ ने इंस्टाग्राम पर यह वीडियो शेयर किया है.

पिछले साल दिसंबर महीने में बाबा कांता प्रसाद ने अपने ढाबे से कुछ ही दूरी पर एक रेस्टोरेंट खोला था, लेकिन दो महीने के भीतर ही यह रेस्टोरेंट बंद हो गया और बाबा कांता प्रसाद वापस अब अपने उसी ढाबे पर आ गए थे, जहां से उनकी कहानी की शुरुआत हुई थी.

बाबा कांता प्रसाद ने NDTV को बताया था कि रेस्टोरेंट में खर्चा ज्यादा था और आमदनी कम हो रही थी. कांता प्रसाद के मुताबिक ' रेस्टोरेंट का किराया, स्टाफ़ की तनख्वाह, बिजली, पानी और अन्य खर्च मिला कर करीब 1 लाख महीने की लागत थी, जबकि आमदनी 30-45 हज़ार थी इसलिए हमने रेस्टोरेंट बंद कर दिया और वापस ढाबे पर आ गए हैं और अपने इस हाल पर खुश हैं.'

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

वीडियो: लौट के बाबा ढाबा पर आए, अब हुआ गलती का अहसास