लखनऊ में कम करके बताए जा रहे कोरोना से मौतों के आंकड़े? श्‍मशान घाट और सरकार की संख्‍या में है फर्क

सरकार का कहना है कि उसके जारी किए आंकड़ों में लखनऊ में मारे गए दूसरे जिलों के मरीजों और घर में कोरोना के कारण मारे गए लोगों के आंकड़े शामिल नहीं हैं. 

लखनऊ:

उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ शहर में कोरोना से मरने वालों के जो आंकड़े सरकार जारी करती है, वे श्‍मशान में आने वाले कोरोना के शवों की तादाद से बहुत कम होती हैं. मिसाल के लिए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले सात दिनों में लखनऊ में कोरोना से 124 लोगों की मौत हुई जबकि श्‍मशान घाट पर कोरोना से मरने वालों के 400 शव जलाए गए. यानी सरकारी आंकड़ों में एक हफ्ते में 276 मौतें दर्ज नहीं हुई हैं. लोगों को लगता है कि आंकड़े छिपाए जा रहे हैं लेकिन सरकार का कहना है कि उसके जारी किए आंकड़ों में लखनऊ में मारे गए दूसरे जिलों के मरीजों और घर में कोरोना के कारण मारे गए लोगों के आंकड़े शामिल नहीं हैं.

दिल्ली सरकार ने कोविड मरीजों के लिए प्राइवेट अस्पतालों के साथ होटल और बैंक्वेट हाल अटैच किए

लखनऊ में गोमती नदी के किनारे उन चिताओं की लंबी कतार है जिनकी मौत कोरोना के कारण हुई है. यहां इनकी तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. सरकार के जारी आंकड़ों में मौतें काफी कम हैं जबकि श्‍मशान के आंकड़ों में यह संख्‍या काफी ज्‍यादा है. सरकार के प्रेसनोट के अनुसार 7 से 13 अप्रैल तक के सात दिनों में 124 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हुई जबक श्‍मशान पर कोविड के 400 शव जलाए गए. सात अप्रैल को सरकारी प्रेस नोट में मौत का आंकड़ा 6 का है जबकि श्‍मशान में 28 शव जले. इसी तरह आठ अप्रैल को  सरकारी प्रेसनोट का आंकड़ा 11 और श्‍मशान का 37 का है. 9 अप्रैल को सरकार के प्रेसनोट में 14 मौतें हैं जबकि श्‍मशान में 47 शव जले. 10 अप्रैल के लिए यह आंकड़ा 23 (सरकारी प्रेसनोट) तथा 59 (श्‍मशान), 11 अप्रैल को 31 (सरकारी प्रेसनोट) तथा 59 (श्‍मशान), 12 अप्रैल को 21 (सरकारी प्रेसनोट) तथा 86 (श्‍मशान में शव जले) का है. 13 अप्रैल को सरकारी प्रेसनोट में मौतों की संख्‍या 18 है जबकि श्‍मशान में 86 शव जले.

पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर मानते हुए उनका टीकाकरण किया जाए : अरविंद केजरीवाल

सवाल यह उठाता है कि श्‍मशान में कोविड प्रोटोकॉल के साथ जो 276 शव ज्‍यादा पहुंचे, वे किसके हैं? मौतों का रिकॉर्ड रखने वाले नगर निगम के लोग कहते हैं कि वे तो वहीं आंकड़े जारी करते हैं जो वे खुद दर्ज करते हैं. नगरनिगम अधिकारी अमित सिंह से पूछा गया था कि श्‍मशान पर बॉडीज ज्‍यादा आ रही है लेकिन मरने वालों का जो डाटा रिलीज होता है, वह कम होता है, इनमें और कौन सी बॉडी होती है जो संख्‍या यहां पर ज्‍यादा होती है कोविड से मरने वालों की तो उन्‍होंने कहा, 'मेरी जानकारी में नहीं है मेरे पास तो जो यहां पर कोविड से बॉडीज आती हैं, उनको मैं दर्ज करता हूं.' लखनऊ के Bhaisakund में विद्युत शवदाहगृह में आम दिनों में तीन चार शव आते थे लेकिन कोरोना फैसले के बाद इसे सिर्फ कोरोना शवों के लिए रिजर्व कर दिया गया है. अब यहां रोज 50 से 60 शव आने लगे हैं. भीड़ हुई तो लोगों को अंतिम संस्‍कार के टोकन बंटने लगे जब और शव आने लगे तो दो श्‍मशान घाटों पर नदी किनारे भी कोरोना के शवों के अंतिम संस्‍कार का इंतजाम करना पड़ा. सरकार कहती है कि श्‍मशाम में दूसरे जिलों के मरने वालों के भी शव आते हैं और घर में मरने वालों को भी जिनका रिकॉर्ड सरकार के पास नहीं होता है.

कोरोना प्रकोप: महाराष्‍ट्र में कड़े प्रतिबंधों के बाद लोकमान्‍य तिलक टर्मिनस पर यात्रियों की भीड़

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

यूपी के डिप्‍टी सीएम दिनेश शर्मा कहते हैं, 'जो सरकार ने सूची प्रकाशित की है इसमें वहीं लोग हैं जो हॉस्पिटल में एडमिट थे या CMO के वहां पर रजिस्‍टर कराए गए हैं. उनकी सूची हमने प्रस्‍तुत की है.' श्‍मशान घाट में तमाम लोग ऐसे भी पहुंचते हैं जो दूसरे जिलों से आये हैं, दूसरे प्रदेशों से आये होते हैं और दुर्भाग्‍यपूर्ण परिस्थितियों में उनकी मौत हो जाती है और सीधे श्‍मशान घाट पर उनका अंतिम संस्‍कार हो जाता है.