- 7 आरोपियों में से 3 गिरफ्तार
- टिहरी की घटना
- पीड़ित की इलाज के दौरान मौत
उत्तराखंड के टिहरी में 21 साल के दलित युवक की पीट-पीट कर इसलिए हत्या कर दी गई क्यों वह एक शादी समारोह में आरोपियों के सामने बैठकर खाना खाने लगा था. यह घटना 26 अप्रैल को हुई थी. देहरादून में इलाज के दौरान सोमवार को उसकी मौत हो गई. पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी है कि इस मामले में अब तक 7 लोगों में से 3 को गिरफ्तार किया जा चुका है और उनके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. डीएसपी उत्तम सिंह जिमवाल ने बताया कि दलित युवक जितेंद्र को ‘निचली जाति का होने के बाद भी'अपने सामने खाना खाते देख ऊंची जाति के कुछ लोगों को गुस्सा आ गया और उन्होंने युवक की पिटाई कर दी. उन्होंने कहा कि घटना 26 अप्रैल को जिले के श्रीकोट गांव में एक शादी समारोह में घटी. डीएसपी ने कहा कि पिटाई से जितेंद्र गंभीर रूप से घायल हो गया और नौ दिनों के इलाज के बाद देहरादून के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गयी. उन्होंने बताया कि जितेंद्र की बहन की शिकायत के आधार पर सात लोगों के खिलाफ अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति कानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. इन सात लोगों में गजेंद्र सिंह, सोबन सिंह, कुशल सिंह, गब्बर सिंह, गंभीर सिंह, हरबीर सिंह और हुकुम सिंह शामिल हैं. डीएसपी ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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U'khand: 21-yr old Dalit man in Tehri Dist. was beaten by a group of men allegedly for sitting & eating in front of them at a wedding function on Apr26. He died during treatment in Dehradun on May 5. DG Law&Order, says,"3 out of 7 people arrested,case registered under SC/ST Act." pic.twitter.com/S5iblmPQMb
— ANI (@ANI) May 7, 2019
इस घटना के सामने के आने के बाद एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है कि 21 वीं सदी में भी भारत के सामाजिक ताने-बाने अभी परिवर्तन आने बाकी हैं. हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी दलितों पर अत्याचार के कई मामले में सामने आ चुके हैं. राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित कई जगहों पर दलितों के बारात निकालने पर रोड़े अटकाए गए. ऐतराज सिर्फ एक बात का था कि दलित समाज के लोग दूल्हे को घोड़े में कैसे बैठाकर बारात निकाल सकते हैं. दलितों के नाम पर देश में राजनीति खूब होती रही है लेकिन सामाजिक परिवर्तन और पिछड़ों को समाज की मुख्य धारा में लाने के ठोस कार्यक्रमों पर राजनीतिक पार्टियां चुप्पी साध जाती हैं. टिहरी और तमाम जगहों पर हुईं ऐसी घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं.
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