हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खत्म हुई वनडे सीरीज में जीत से इतर जो कुछ बातें टीम इंडिया के लिए बहुत ही अच्छी रहीं, उनमें से एक आखिरी मुकाबले में प्लेयर ऑफ द मैच यशस्वी जायसवाल रहे, जिन्होंने करियर का पहला और नाबाद शतक जड़ा. यशस्वी शुरुआती दोनों वनडे में नाकाम रहे, तो उन पर दबाव तो आ ही गया था, तो उन्हें लेकर विमर्श और सवाल दोनों ही चल रहे थे. लेकिन विशाखापट्टनम में यशस्वी की 121 गेंदों पर 12 चौकों और 2 छक्कों की पारी ने सब कुछ बदल दिया. मैच के बाद हेड कोच गंभीर ने जायसवाल को सलाह देते हुए कहा कि अगर वह अपनी पारी को गति देने के तरीके में बदलाव करता है, तो वह भविष्य में लेफ्टी बल्लेबाज को और बड़ी सफलता मिल सकती है. और जायसवाल को शीर्ष क्रम में अभी और साबित करना होगा.
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में गौतम ने कहा, 'वनडे फॉर्मेट में आपको यह जानना है कि आप किस विचार के साथ खेलते हैं. जब आप एकदम से ही रेड-बॉल से व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में आते हैं, तो आप सोचते हैं कि आपको आक्रामक खेलना है. लेकिन आपको वनडे में आक्रामक बैटिंग की जरूरत नहीं होती. वजह यह है कि आप अपनी पारी को 30 और 20 ओवरों में बांट सकते हैं.'
गौतम ने यशस्वी के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा, 'अगर आप 30 ओवर वनडे की तरह खेलते हैं- जिस तरह की योग्यता जायसवाल के पास है- और अगर वह 30 ओवर तक खेल सकते हैं, तो इसमें बिल्कुल भी शक नहीं है कि वह शतक के नजदीक होंगे. इसके बाद भी आपके पास 20 ओवर बचते हैं. आप इन 20 ओवरों में टी20 की तरह खेल सकते हैं. कुल मिलाकर बात एक तय विचार की है. यह जायसवाल का केवल चौथा ही मैच था. जिस पल ही जायसवाल यह जान जाएंगे कि वनडे में उन्हें कैसे अपनी बैटिंग को आगे लेकर जाना है, तो इस फॉर्मेट में वह कुछ भी कर सकते हैं.'














