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थोक महंगाई दर जनवरी में नकारात्मक 0.39 फीसदी

देश की थोक महंगाई दर जनवरी 2015 में नकारात्मक 0.39 फीसदी रही। यह जानकारी सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से मिली। महंगाई दर में गिरावट के कारण आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक की दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है।
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NDTV Profit हिंदी11:39 PM IST, 16 Feb 2015NDTV Profit हिंदी
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देश की थोक महंगाई दर जनवरी 2015 में नकारात्मक 0.39 फीसदी रही। यह जानकारी सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से मिली। महंगाई दर में गिरावट के कारण आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक की दरों में कटौती की उम्मीद बढ़ गई है।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर जनवरी 2014 में 5.11 फीसदी थी। दिसंबर 2014 में यह 0.11 फीसदी दर्ज की गई थी। नवंबर 2014 में यह दर शून्य (नकारात्मक 0.17 फीसदी) थी।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक ईंधन और बिजली मूल्यों में गिरावट के कारण थोक महंगाई दर नकारात्मक रही।

ईंधन और बिजली महंगाई दर में आलोच्य अवधि में 10.69 फीसदी की नकारात्मक वृद्धि रही, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में इसमें 9.82 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

इस दौरान तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की कीमतें 7.65 फीसदी घटी। पेट्रोल 17.08 फीसदी सस्ता हुआ और डीजल 10.41 फीसदी सस्ता हुआ।

खाद्य महंगाई दर आठ फीसदी रही, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह दर 8.85 फीसदी थी।

आलोच्य अवधि में गेहूं, प्याज, अंडा, मछली और मांस सस्ता हुए। गेहूं 1.63 फीसदी सस्ता हुआ, जो एक साल पहले 6.79 फीसदी महंगा हो गया था। आलू 2.11 फीसदी महंगा हुआ, जो एक साल पहले 16 फीसदी महंगा हुआ था।

प्याज 1.90 फीसदी सस्ता हुआ, जो एक साल पहले 0.47 फीसदी महंगा हुआ था। अंडा, मछली और मांस 1.51 फीसदी सस्ता हुए, जो एक साल पहले 12.12 फीसदी महंगा हो गए थे।

इस अवधि में सब्जियों की कीमतें हालांकि 19.74 फीसदी बढ़ गई। अनाज की कीमतें 1.65 फीसदी बढ़ी। चावल चार फीसदी महंगा हुआ। विनिर्मित वस्तुओं में महंगाई दर बढ़कर 1.05 फीसदी हो गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 2.96 फीसदी थी।

थोक मूल्य में जहां गिरावट दर्ज की गई है, वहीं गौरतलब है कि उपभोक्ता महंगाई दर में वृद्धि दर्ज की गई है। जनवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 5.11 फीसदी रही।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने जनवरी में उपभोक्ता महंगाई दर की गणना नए आधार वर्ष 2012 के आधार पर की है। इसमें ऊंची खाद्य महंगाई के कारण वृद्धि दर्ज की गई।

सीपीआई के आधार पर मापी जाने वाली उपभोक्ता महंगाई दर के दिसंबर 2014 के आंकड़े की भी फिर से गणना की गई और संशोधित दर 4.28 फीसदी रही।

2010 आधार वर्ष के आधार पर सीपीआई पर आधारित उपभोक्ता महंगाई दर पहले 5 फीसदी दर्ज की गई थी। उपभोक्ता खाद्य महंगाई दर जनवरी में 6.13 फीसदी रही।

मौजूदा थोक और उपभोक्ता महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक को मुख्य दरों में कटौती के लिए प्रेरित कर सकती है। रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 तक आठ फीसदी उपभोक्ता महंगाई दर और जनवरी 2016 तक छह फीसदी उपभोक्ता महंगाई दर का लक्ष्य रखा है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने यहां जारी एक बयान में कहा, 'थोक और उपभोक्ता दोनों महंगाई दर में गिरावट का रुझान और स्थायी औद्योगिक तेजी के अभाव को देखते हुए हम उम्मीद करते हैं कि आगामी बजट के बाद भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कटौती करेगी।'

सूरी ने कहा, 'दाल और सब्जियों जैसे कुछ खाद्य सामग्रियों की कीमतों में वृद्धि संभावित है, जो हाल में जारी सीपीआई आंकड़े में भी दिखती है। इसका प्रमुख कारण संरचनागत लचीलेपन का अभाव है, जिसके कारण खाद्य आपूर्ति श्रंखला प्रभावित हुई है। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार कृषि उत्पाद की आपूर्ति श्रंखला में इन दोषों को दूर करने के लिए और कदम उठाएगी।'

पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष आलोक बी श्रीराम ने महंगाई दर में गिरावट के बारे में कहा कि इससे मांग बढ़ेगी और विनिर्माताओं के लिए राहत की बात होगी।

श्रीराम ने कहा, 'देश में थोक मूल्य सूचकांक मुख्यत: विनिर्माताओं के उत्पादन लागत को प्रतिबिंबित करता है, क्योंकि सूचकांक में विनिर्मित उत्पादों का करीब 65 फीसदी योगदान है। इसलिए विनिर्मित उत्पादों की कीमत और घटने का अनुमान है।'

उन्होंने कहा, 'आने वाले समय में थोक महंगाई दर के निचले स्तर पर होने से उत्पादन प्रक्रिया पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और घरेलू मांग में वृद्धि होगी तथा कम कीमत वाले उत्पादों की उपलब्धता बढ़ेगी।'

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