बहुत सारी कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2022-23 बंपर लाभ का वर्ष साबित हुआ. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, निफ्टी-50 की 20 कंपनियां तो अपने एबिटा (EBITDA) अनुमानों को पीछे छोड़ काफी आगे निकल गईं. हालांकि हायर इनकम यानी मोटी कमाई का मतलब ज्यादा टैक्स भरने से भी है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 23 के टॉप कॉर्पोरेट टैक्सपेयर्स में 4 लेंडर्स रैंकिंग के साथ बैंकिंग कंपनियां शामिल हैं.
सबसे बड़े सरकारी बैंक SBI, सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक के अलावा ICICI और AXIS बैंक ने इसमें जगह बनाई है.
नीचे चार्ट में देखें, टॉप 10 कंपनियों ने कितना मोटा टैक्स दिया.
मार्केट कैप में देश की सबसे बड़ी कंपनी और वित्त वर्ष 2023 के लिए सबसे अधिक लाभ कमाने वाली कंपनी, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा 20,713 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में भरा और टैक्सपेयर्स कंपनियों की लिस्ट में टॉप पर जगह बनाई.
बैंकिंग दिग्गज भारतीय स्टेट बैंक ने टैक्स के तौर पर 17,649 करोड़ रुपये भरे और दूसरे नंबर पर जगह बनाई. वहीं 15,350 करोड़ रुपये के सालाना टैक्स के साथ HDFC बैंक ने तीसरा स्थान हासिल किया.
हालांकि ओवरऑल हाई रेवेन्यू वाली कंपनियां सबसे ज्यादा टैक्स भुगतान करती हैं, लेकिन यहां कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने टैक्स पूर्व लाभ (Profit Before Tax) के प्रतिशत के रूप में अपने साथियों की तुलना में बहुत ज्यादा भुगतान किया है.
नीचे चार्ट देंखें.
टाटा स्टील (Tata Steel) ने अपनी पूर्व-लाभ आय (Pre-Profit Income) का 55.72% टैक्स के रूप में भुगतान किया है और दूसरों से काफी आगे है.
ये आंकड़ा 5,361.3 करोड़ रुपये की मौजूदा देनदारी के मुकाबले 4,798.4 करोड़ रुपये के उच्च आस्थगित टैक्सेस (High Deferred Taxes) के कारण बढ़ा हुआ प्रतीत होता है.
9 कंपनियों ने अपने टैक्स पूर्व टैक्स पूर्व लाभ के 20% से कम के टोटल टैक्स खर्च की सूचना दी है. देंखें चार्ट.
HDFC लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने टैक्स राइट-ऑफ के कारण निगेटिव टैक्स रिपोर्ट किया. 2 कंपनियों ने टैक्स पूर्व लाभ के 5% से कम के टैक्स की सूचना दी. अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड अपने डेफर्ड टैक्स (Deferred Tax) में राइट-ऑफ के कारण 1.76% था, जबकि SBI लाइफ इंश्योरेंस कंपनी 2.15% पर थी.