कमज़ोर मॉनसून का सबसे पहला असर भले ही किसानों पर दिखे लेकिन यह सरकार के लिए भी कम बड़ा सरदर्द नहीं है।
बारिश कम हुई तो जलाशय में पानी का भंडार भरा नहीं लिहाजा खेतों के लिए उतना पानी नहीं है जितने की जरूरत है।
हालांकि, केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक बीते चार हफ्तों में हालात में थोड़ा सुधार आया है। बड़े जलाशयों में पानी का स्तर 16 से बढ़कर 24 हुआ है लेकिन सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि सुधार के बावजूद हालात में मामूली सुधार 26 जुलाई तक जमा हुआ भंडार पिछले साल के मुकाबले 55 फीसदी कम है।
पानी की सबसे ज़्यादा कमी कर्नाटक में दिखी है। कर्नाटक के जलाशयों में औसत से 58 कम पानी है जबकि केरल में जल भंडार से 57 कम है हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में औसत से 53 कम महाराष्ट्र में 44 कम है तो पंजाब में पानी औसत से 37 फीसदी कम है।
जलाशयों और नदियों में पानी कम जमा होने का सीधा मतलब है कि इस साल फसलों की सिंचाई के लिए किसानों को कम पानी मिलेगा। अगर कुछ दिनों में मॉनसून ज़ोर नहीं पकड़ता है तो सरकार को देश के कई हिस्सो में सूखे से निपटने की तैयारी करनी पड़ सकती है।