मंगलवार को वाहन और सीमेंट कंपनियों के मासिक बिक्री आंकड़ों पर निवेशकों की निगाह रहने के अलावा अमेरिकी बजट संकट का मुद्दा बाजार पर छाया रहेगा। इसकी वजह से आगामी सप्ताह शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है। विशेषज्ञों ने ऐसी राय व्यक्त की है।
एंजल ब्रोकिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, अमेरिका में बजट संकट के मामले में कोई भी प्रतिकूल घटनाक्रम होने पर बाजार में उठापटक तेज हो सकती है। डीलरों ने कहा कि पिछले चार सप्ताह के दौरान भारतीय शेयर बाजार दिशाहीन रहे, क्योंकि निवेशकों ने मौजूदा उच्च स्तर पर निवेश करने में सतर्कता का रुख अपनाया।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कांग्रेस के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक करने के बाद कुछ उम्मीद जताई है। ओबामा ने इन नेताओं से गहराते बजट संकट का 31 दिसंबर से पहले कोई समाधान निकालने का आग्रह किया है। ऐसा नहीं होने पर देश में आर्थिक मंदी गहरा सकती है।
बोनांजा पोर्टफोलियो के उपाध्यक्ष राकेश गोयल ने कहा, बाजार को आगे की दिशा के लिए किसी सकारात्मक खबर का इंतजार है। भारतीय रिजर्व बैंक ने दिसंबर में भी प्रमुख नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा, लेकिन निवेशकों को जनवरी में ब्याज दरों में कटौती की पूरी उम्मीद है। अगर ब्याज दरों में कटौती होती है, तो ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील माने जाने वाले बैंकिंग, ऑटो और रीयल्टी कंपनियों के शेयर लाभ में रहेंगे।
उन्होंने कहा, निवेशकों की नजदीकी निगाह तीसरी तिमाही के नतीजों पर होगी तथा इन परिणामों पर आगे की दिशा निर्भर करेगी। प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस द्वारा 11 जनवरी से परिणाम घोषित करने की शुरुआत होगी। पिछले सप्ताह बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स करीब 203 अंक चढ़कर 19,444.84 अंक पर बंद हुआ, जिससे पिछले दो सप्ताह से जारी गिरावट थम गई।
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि सप्ताह के दौरान सरकार द्वारा निर्यातकों को दी गई रियायतों की घोषणा के बीच विदेशी निधियों की तरफ से निरंतर पूंजी अंत:प्रवाह के बाद रिफायनरी, रीयल्टी, बिजली और पूंजीगत सामान कंपनियों की अगुवाई में चौतरफा लिवाली से बाजार धारणा में सुधार आया।