देश के सभी घर में बिजली पहुंचाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब एक साल का ही समय बचा है. बावजूद इसके झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इस टारगेट को अभी तक आधा ही पूरा कर पाए हैं. सरकारी आंकड़ों की माने तो झारखंड में अभी तक 55.5 फीसदी ग्रामीण घरों तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, वहीं बिहार में यह आंकड़ा 48.45 और उत्तर प्रदेश में 52.41 फीसदी है.देश में बिजली कनेक्शन की सुविधा से वंचित कुल 4 करोड़ से अधिक घरों में से 90 प्रतिशत परिवार उत्तर प्रदेश और बिहार समेत सात राज्यों में हैं. उत्तर प्रदेश में अभी कुल 1.46 करोड़ परिवार तक बिजली पहुंचाया जाना बचा है. वहीं बिहार में यह संख्या 64.70 लाख है.
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बिजली मंत्रालय के संबंधित पोर्टल सौभाग्य के अनुसार केरल, पंजाब और तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों के सभी घरों तक बिजली पहुंचायी जा चुकी है. खास बात यह है कि सरकार ने बिजली से वंचित चार करोड़ से अधिक परिवार को विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने के लिये प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) शुरू की है. इस योजना के तहत दिसंबर 2018 तक देश के हरेक घर तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य था.
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मंत्रालय के सौभाग्य पोर्टल के अनुसार बिहार में कुल 123.46 लाख ग्रामीण परिवार में से 58.76 लाख घरों में अबतक बिजली पहुंचाई जा सकी है जबकि 64 लाख से अधिक घर बिजली से अभी भी महरूम हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में 302.34 लाख घरों में से 146.47 लाख परिवार जबकि मध्य प्रदेश में 114 लाख परिवार में से 39.43 प्रतिशत परिवार बिजली से वंचित हैं. झारखंड में 54.81 लाख ग्रामीण परिवार में से 55.5 प्रतिशत परिवार के पास बिजली कनेक्शन नहीं हैं. इस मामले में अन्य फिसड्डी राज्यों में असम (46.45 प्रतिशत), ओड़िशा (38 प्रतिशत) तथा राजस्थाल (22 प्रतिशत) शामिल हैं. देश में बिजली से वंचित कुल परिवार में सात राज्यों में उत्तर प्रदेश (146.47 लाख), बिहार (64.70 लाख), मध्य प्रदेश (44.95 लाख), ओड़िशा (32.62 लाख) , झारखंड (30.42 लाख) असम (24.10 लाख) और राजस्थान (20.14 लाख) की हिस्स्दारी लगभग 90 प्रतिशत है.
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नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में कहा कि देश में बिजली से वंचित कुल परिवार में 90 प्रतिशत परिवार सात राज्यों में सीमित है और यह हर घर को बिजली सुलभ कराने के लक्ष्य की राह की बड़ी चुनौती है. विकसित राज्यों की श्रेणी में आने वाले महाराष्ट्र में 139.14 लाख परिवार में से 3.61 लाख परिवार बिजली से वंचित हैं. वहीं जम्मू कश्मीर में 12.91 लाख ग्रामीण परिवार में से 2.70 लाख परिवार तक बिजली पहुंचाया जाना बचा है. पंजाब, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में शत प्रतिशत ग्रामीण परिवार को बिजली उपलब्ध करायी जा चुकी है.
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सौभाग्य योजना की कुल लागत 16, 320 करोड़ रुपये है जिसमें से केंद्र 12,320 करोड़ रुपये का सकल बजटीय समर्थन देगा.