भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने कहा है कि केंद्र व राज्य सरकारों को 'प्रसारण के कारोबार' में उतरने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ट्राई की इस व्यवस्था का तमिलनाडु सहित विभिन्न राज्यों सरकारों पर तत्काल प्रभाव हो सकता है।
नियामक ने इस संबंध में शुक्रवार को अपने सुझाव दिए। उसने कहा है कि सरकारें ही नहीं राजनीतिक दलों को भी प्रसारण क्षेत्र में उतरने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
सूचना एवं प्रसारण सचिव उदय कुमार वर्मा ने 30 नवंबर को ट्राई को पत्र लिखकर इस बारे में उसकी राय मांगी थी कि क्या राज्य या केंद्र अथवा उनके नियंत्रण वाली किसी इकाई को प्रसारण या चैनलों के वितरण में उतरने की अनुमति दी जानी चाहिए।
वर्मा के इस पत्र में ट्राई के सचिव प्रभारी सुधीर गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, कंपनियों, संयुक्त उद्यमों के साथ-साथ केंद्र या राज्य सरकारों से सम्बद्ध या उनके द्वारा वित्तपोषित इकाइयों को 'प्रसारण या टीवी चैनल वितरण के कारोबार में उतरने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।'
ट्राई के इन सुझावों का असर विशेषकर तमिलनाडु सरकार की अरासु केबल टीवी कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड पर पड़ेगा। चेन्नई में केबल सेवाओं के डिजिटलीकरण के बाद इसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से नई अनुमति लेनी होगी।
पंजाब सरकार ने टीवी केंद्र स्थापित करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से संपर्क किया था। गुजरात सरकार तथा मानव संसाधन मंत्रालय से भी टीवी चैनल शुरू करने का प्रस्ताव विचाराधीन है।
आंध्रप्रदेश सरकार ने मन्ना टीवी के सिग्नल केबल ऑपरेटरों के जरिये वितरित करने का प्रस्ताव किया था।
ट्राई के अनुसार 2008 में अपनी सिफारिशों में उसने कहा था कि राजनीतिक दलों को प्रसारण गतिविधियों में उतरने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। यह सुनिश्चित करने के लिए ट्राई ने 'राजनीतिक दलों की अपात्रता' का पालन किया जाना चाहिए।
ट्राई का कहना है कि राजनीतिक दलों तथा उनसे सम्बद्ध या सहयोगी लोगों को प्रसारण एवं वितरण गतिविधियों में शामिल होने से रोक जाना चाहिए।
ट्राई ने कहा कि अगर किसी राज्य इकाई को केबल वितरण प्लेटफॉर्म में प्रवेश की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है तो केंद्र सरकार को उचित निकासी मार्ग उपलब्ध कराना चाहिए।