जीएसटी काउंसिल की बैठक में आज राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई का फार्मूला मान लिया गया. हालांकि जीएसटी दरों को लेकर कई सुझाव आए जिन पर बुधवार को बातचीत होगी.
जीएसटी काउंसिल की बैठक ने पहले ही दिन एक और बड़ी बाधा पार कर ली. केंद्र ने कहा कि वह जीएसटी से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई 14% की दर से करेगा. बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसका ऐलान किया.
हालांकि जीएसटी के सबसे अहम मुद्दे पर फैसला अभी बाकी है. अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले टैक्स की दर क्या हो. राज्यों का प्रस्ताव 6 फीसदी से 26 फीसदी तक का है. इसके अलावा सेस का भी प्रस्ताव है. बैठक के बाद हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने कहा कि राज्यों ने अलग-अलग वस्तुओं पर 6%, 12%, 18% और 26% तक टैक्स रेट तय करने की वकालत की.
उधर केंद्र का कहना है कि टैक्स की दरें तय करते हुए यह ध्यान रखना जरूरी है कि आम आदमी पर महंगाई का बोझ न पड़े और साथ ही सरकारों को अपनी जिम्मेदारी पूरी करने लायक साधन जुट सकें. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "सैद्धांतिक तौर पर यह सोच है कि आम आदमी पर महंगाई का बोझ ज्यादा न पड़े...और राज्य सरकारें और केन्द्र अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन सही तरीके से कर सकें.
जीएसटी को टैक्स की दुनिया में गेम चेंजर माना जा रहा है. तरह-तरह के टैक्सों को हटाकर इस एक टैक्स की हिस्सेदारी को लेकर राज्यों के भीतर काफी संशय है. मंगलवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक के पहले ही दिन जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के फार्मूले पर आम सहमति बन गई. अब वित्त मंत्री के सामने बड़ी चुनौती राजनीतिक तौर पर संवेदनशील और महत्वपूर्ण जीएटी रेट पर केन्द्र और राज्यों के बीच आम सहमति बनाने की होगी.