सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत पेशी से छूट की सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय की अर्जी को आज खारिज कर दिया। निवेशकों का 20,000 करोड़ रुपये लौटाने के मामले में चूक के संबंध में उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुधवार को कोर्ट के समक्ष पेश होना है।
राय की अर्जी आज न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्ण और जेएस खेहड़ की पीठ के समक्ष रखी गई। पीठ ने कहा कि उन्हें (सुब्रत राय) बुधवार को पेश होना होगा।
राय के वकील राम जेठमलानी ने कहा कि वह भुगतान करेंगे तथा उन्हें बुधवार को न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से पेश होने से मोहलत दी जाए, लेकिन पीठ ने कहा कि राय ने उसके आदेशों का अनुपालन नहीं किया, इसीलिए उन्हें तलब किया गया है।
पिछली सुनवाई के समय पीठ ने कोर्ट के आदेश के बावजूद निवेशकों का 20,000 करोड़ रुपये नहीं लौटाने के लिए सहारा समूह के खिलाफ कड़ी नाराजगी जाहिर की थी। पीठ ने राय तथा समूह की दो कंपनियों सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसी) और सहारा इंडिया हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन (एसएचआईसी) के निवेशकों रविशंकर दुबे, अशोक राय चौधरी और वंदना भार्गव को व्यक्तिगत रूप से 26 फरवरी को कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सहारा समूह की उन संपत्तियों की बिक्री खुद कर सकता है, जिनके बैनामे के कागजात उसे 20,000 रुपये की रकम वसूली के संबंध में सौंपे गए हैं।
पीठ ने सेबी से उस दिन कहा था, उन संपत्तियों को आप बेच सकते हैं। हम आपको अनुमति देते हैं कि आप उन्हें बेचकर पैसा वसूल करें। यदि उन संपत्तियों पर कोई और दावा है तो आप कंपनी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराएं। इस मामले को इसके अंजाम तक पहुंचाना ही होगा। पीठ ने इस बात पर भी सवाल उठाये थे कि कंपनी पिछले डेढ़ साल से उसके आदेश की अवहेलना कर रही है। पीठ ने कहा कि सेबी उन संपत्तियों को खुद नीलाम कर पैसा निकाल सकती है। इससे पहले सेबी ने कहा था कि कंपनी को उन संपत्तियों को बेचकर पैसा जमा कराने को कहा जाए।
शीर्ष न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को इस मामले में आदेश दिया था कि सेबी कंपनी की संपत्तियों को कुर्क कर निवेशकों का पैसा निकाले।
पीठ ने साफ संकेत दिया था कि वह अपने आदेश का उल्लंघन होने की स्थिति में ‘असहाय’ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर 2013 को राय पर देश छोड़ने से रोक लगायी थी और सहारा समूह को कोई संपत्ति नहीं बेचने का आदेश दिया था।