नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा खूब सुनाई दिया. इस नारे को पीएम मोदी ने कई मंच पर दोहराया. सरकार ने इसका विज्ञापन भी खूब किया. और अब तो देखा जा रहा है कि कई गाड़ियों में पीछे यह एक नारे के रूप में लिखा रहता है. यानी जिन माता-पिता के पास बेटियां है वे इस नारे के महत्व को समझने के लगे हैं और इस प्रचारित और प्रसारित भी करने लगे. जिस देश में बेटी के पैदा होने के साथ ही पहले मातम का माहौल हो जाता था अब लगता है कि इस प्रवृत्ति में बदलाव आ रहा है. यही वजह है कि लोग बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए मेहनत भी कर रहे हैं. कई अभिभावक अब इसके उदाहरण बन रहे हैं.
यदि कोई बेटी के पिता है तो केंद्र सरकार की एक खास योजना है जो काफी फायदेमंद है. यह योजना एक या दो बेटियों के लिए है. ऐसे अभिभावकों को केंद्र सरकार की सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ उठाना चाहिए. लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई यह योजना निश्चित तौर पर बच्ची के भविष्य के लिए लाभकारी है ही, साथ ही माता-पिता के कथित बोझ और चिंता को भी कम करती है. शादी के समय पर इसमें से रकम निकालना आसान है. अगर बेटी 10 साल से कम की है तो अभी पोस्ट ऑफिस और कुछ अन्य ऑथराइज्ड बैंकों जैसे एसबीआई, पीएनबी, आईसीआईसीआई बैंक में जाकर इससे जुड़ा खाता खुलवाया जा सकता है. इस योजना के तहत जब खाता 21 वर्ष को हो जाएगा, तब यह खाता मैच्योर हो जाता है. इस खाते में अभिभावक कम से कम 1000 रुपये प्रति माह से लेकर 150000 लाख सालाना तक डाल सकते हैं. खास बात यह है कि इसमें जमा धन पर 80 सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. यानी इसमें जमा डेढ़ लाख रुपये तक की राशि पर आपको टैक्स छूट मिलेगी.
अगर दो बेटियां हैं तो दोनों के लिए यह खाता खोला जा सकता है. लेकिन दो से अधिक बेटियों के लिए खाता नहीं खोला जा सकेगा. तीन बेटियों के लिए खाता खुलवाना तभी संभव है जब दूसरे बार जुड़वां बेटियां हो जाएं. कानूनी तौर पर बच्ची के अभिभावक या माता पिता ही खाता खुलवा सकते हैं. इस खाते को कम से कम 15 साल तक चलाना आवश्यक है. यह खाता 21 साल तक रखा जा सकता है. इसके बाद इस खाते पर ब्याज नहीं मिलेगा.
इसमें जमा किए गए धन पर (वर्तमान दर) 8.6% सालाना के हिसाब से ब्याज मिलता है. किसी एक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक हजार रुपए जमा करवाना जरूरी है और अधिक से अधिक 1,50,000 रुपए जमा करवाए जा सकते हैं. यह रकम एक ही बार में भी जमा करवाई जा सकती है और साल भर किस्तों के हिसाब से भी. हां एक बात का ध्यान रखें किसी कारणवश, यदि किसी वित्तीय वर्ष में कम से कम 1 हजार रुपए तक जमा नहीं करवा पाते हैं तो खाता बंद हो जाएगा और इसे फिर चालू करने के लिए आपको प्रति साल के हिसाब से 50 रुपए की पेनल्टी देनी होगी. साथ ही अकाउंट में मिनिमम अमाउंट भी सुनिश्चित करना होगा.
पहले यह नियम था कि यदि अभिभावक बच्ची के 21 साल का होने से पूर्व धन निकालना चाहते हैं तो 50 फीसदी धन निकाल सकते हैं लेकिन यह उसी स्थिति में कर पाएंगे जब बच्ची की शादी हो रही हो और वह 18 साल की हो. लेकिन नए नियम के मुताबिक, अब बेटी की शादी पर 100 फीसदी रकम निकाल सकते हैं. एक बात और, जब खाता मैच्योर हो जाएगा यानी बेटी 21 साल की हो जाएगी, उसके बाद इस पर कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा. सरकार ने यह भी छूट दी है कि योजना के तहत उच्च शिक्षा के लिए जरूरत पर आधी रकम निकाली जा सकती है. यह बच्ची के 18 साल के पूरे होने के बाद संभव है.
इस योजना के तहत खोले गए खाते को समय पूर्व बंद करने का भी प्रावधान है. यह तब हो सकता है जब पैसे जमा करवाने वाले अभिभावक की आकस्मिक मृत्यु हो जाए या फिर किसी गंभीर बीमारी में इलाज के लिए आवश्यकता हो.
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बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत इस स्कीम को लॉन्च किया था. वैसे पीपीएफ (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड) की तरह ही इसमें भी सालाना धन जमा की सीमा डेढ़ लाख रुपए है. साल 2016 में अपडेट की गई इस योजना में कुछ नए फीचर भी जोड़े गए. जैसे कि बच्ची के इस खाते में ऑनलाइन पैसा जमा करवाए जा सकते हैं और यह गोद ली गई बेटी के लिए भी खोला जा सकता है. यदि किसी के पास से पासबुक खो गई है तो नई पासबुक 50 रुपए देकर ले सकते हैं. एक बच्ची के लिए एक ही अकाउंट खोल सकते हैं.