ये बात साफ होती जा रही है कि सब्सिडी के बदले कैश की योजना पर सरकार गंभीर है। यही नहीं इसके राजनीतिक असर का भी उसे एहसास है। इसलिए सोमवार को प्रधानमंत्री की मीटिंग के बाद मंगलवार को सरकार के दूसरे मंत्रियों ने इसे सीधे पैसे का नहीं हक का ट्रांसफ़र करार दिया।
आपका पैसा आपके हाथ। कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ के बाद यह नया नारा होने जा रहा है। सोमवार को इस नई डायरेक्ट कैश ट्रांसफर योजना पर उठ रहे सवालों पर सफाई देने वित्तमंत्री पी चिदंबरम, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश के साथ कांग्रेस दफ्तर पहुंचे।
यह नई योजना कांग्रेस के भावी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। इसका इशारा जयराम रमेश ने किया जब उन्होंने कहा राजीव गांधी कहते थे कि लोगों के पास 100 में से 15 पैसा पहुंचता है। हम जो कर रहे हैं वह सिर्फ नगद का नहीं आपके हक़ का ट्रांसफर है, 'आपका पैसा आपके हाथ'।
ग्रामीण विकासमंत्री जयराम रमेश का यह बयान बताता है कि सरकार सब्सिडी के बदले कैश ट्रांसफ़र की अपनी योजना को काफी अहमियत दे रही है।
कांग्रेस लग रहा है गरीब भारत को यह तोहफा उसके लिए अच्छे राजनीतिक रिटर्न लाएगा। अगले साल जनवरी से यह योजना देश के 51 ज़िलों में लागू की जा रही है। जून से इसे बाकी देश में भी ले जाया जाएगा जहां आधार कार्ड बन चुके हैं।
वैसे सरकार ने फिलहाल इस योजना में वह सब्सिडियां लागू की हैं जिनका ट्रांसफ़र आसान है और जिनमें गड़बड़ी की कम गुंजाइश है।
इनमें स्कॉलरशिप और विधवा पेंशन जैसी चीज़ें हैं। खाद्य और गैस सब्सिडी अभी इसमें शामिल नहीं है। कुल 29 तरह की सब्सिडियां हैं जो अगले दो साल में 42 हो जाएंगी।
सरकार का ध्यान इस बात पर भी है कि इस योजना में बेईमानी और दरार की गुंजाइश न रह जाए। हालांकि एनडीटीवी इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया है कि किस तरह राजस्थान में इसके पायलट प्रोजेक्ट में गड़बड़ियां हुई हैं। फिलहाल सरकार कह रही है वह इन्हें भी दूर करेगी। एनडीटीवी ने जब जयराम रमेश से इस बारे में पूछा तो उन्होंने माना कि अलवर में पायलट प्रोजेक्ट में खामियां सामने आई हैं और उन्हें दुरुस्त करने की कोशिश की जाएगी।
नरेगा के बाद यह दूसरी योजना है जो सरकार को सीधे गरीब लोगों से जोड़ सकती है और यह एहसास मंत्रियों को है। सरकार इस नई योजना के तहत सब्सिडी की बरबादी रोकना चाहती है। ज़रूरतमंदों तक सब्सिडी का फायदा सीधे पहुंचाना चाहती है।
लेकिन, अलवर और दूसरी जगहों पर पायलट प्रोजेक्ट्स के दौरान जो खामियां सामने आयी हैं उन्हें समय रहते अगर दुरुस्त नहीं किया गया तो इसे पूरे देश में सही तरीके से लागू करना एक मुश्किल चुनौती साबित हो सकती है।