भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 1 अप्रैल 2014 को की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा से अगले सप्ताह बाजार की दिशा तय होगी। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की चाल, डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत भी बाजार की अगली दिशा को प्रभावित करेंगे।
रिजर्व बैंक ने महंगाई का हवाला देते हुए 28 जनवरी 2014 को मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद मुख्य नीतिगत दरों में 25 आधार अंक की वृद्धि कर दी थी।
आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव बाजार को व्यापक स्तर पर प्रभावित करेगा। चुनाव 7 अप्रैल से 12 मई के बीच नौ चरणों में होने वाली है। मतगणना 16 मई को होगी। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 1 जून को समाप्त हो जाएगा और नई लोकसभा 31 मई तक गठित हो जानी है।
अगले सप्ताह निवेशकों का ध्यान वाहन शेयरों पर टिका रहेगा, क्योंकि वाहन कंपनियां मार्च महीने के लिए अपनी बिक्री के आंकड़े 1 अप्रैल से जारी करनी शुरू करेंगी।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों पर भी निवेशकों की निगाह टिकी रहेगी। ये कंपनियां एक अप्रैल 2014 को तेल कीमतों की समीक्षा करेंगी। सरकारी तेल विपणन कंपनियां हर महीने पहली और 16वीं तारीख को तेल कीमतों की समीक्षा करती हैं।
मार्केट इकनॉमिक्स मंगलवार को 1 अप्रैल को मार्च महीने के लिए एचएसबीसी भारत विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जारी करेगी। फरवरी महीने में यह सूचकांक 52.5 पर था और जनवरी में 51.4 पर था।
मार्केट इकनॉमिक्स गुरुवार तीन अप्रैल को मार्च महीने के लिए एचएसबीसी भारत सेवा कारोबारी गतिविधि सूचकांक के आंकड़े जारी करेगी, जो फरवरी महीने में 48.8 पर और जनवरी में 48.3 पर थी।
सूचकांक के 50 से ऊपर रहने का मतलब संबद्ध क्षेत्र में कारोबार का विस्तार है, जबकि इसके 50 से नीचे रहने का मतलब कारोबारी क्षेत्र में संकुचन है।
यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ईसीबी) की शासकीय परिषद गुरुवार 3 अप्रैल को फ्रैंकफर्ट में यूरो जोन की ब्याज दर तय करने के लिए एक नीति बैठक करेगा।
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीति निर्मात्री समिति फेडरल ओपेन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) 29-30 अप्रैल 2014 को अगली बैठक करेगी। एफओएमसी ने मौद्रिक नीति की पिछली समीक्षा के बाद 19 मार्च की घोषणा में कहा था कि मासिक बांड खरीदारी कार्यक्रम का आकार 10 अरब डॉलर और घटाकर 55 अरब डॉलर प्रति माह किया जाएगा।